कृषि और पर्यावरण विशेषज्ञों की चेतावनी के बीच पंजाब में किसानों ने पराली जलानी शुरू कर दी है। किसानों का कहना है कि वे असहाय है और सरकार उनके बारे में नहीं सोचती है। अमृतसर के देवीदासपुरा गांव से खेतों में पराली जलने की तस्वीरें सामने आई हैं। दरअसल कृषि और पर्यावरण क्षेत्र के विशेषज्ञों ने आगाह करते हुए कहा था कि अगर इस बार किसानों को पराली जलाने से रोकने में सरकार फेल रही तो कोविड-19 महामारी की समस्या में बेतहाशा इजाफा हो सकता है।
‘सरकार हमें 2 से 3 मशीनें उपलब्ध कराए’
अमृतसर में पराली जलाने वाले एक किसान रंजीत सिंह गिल ने बताया, ‘हम असहाय हैं। सरकार हमारे बारे में नहीं सोच रही है। सरकार को हमें हर ब्लॉक में 2 से 3 मशीनें उपलब्ध करानी चाहिए ताकि हम पराली जलाने की जरूरत न पड़े।’
श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचाएगा पराली का धुआं’
रबी फसल की बुवाई के मौसम से पहले पराली जलाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस कारण कोरोना वायरस महामारी और भयावह रूप ले सकती है। एक कृषि एवं पर्यावरण विशेषज्ञ ने इस बात को लेकर आगाह किया है। कृषि एक्सपर्ट्स का कहना था कि पराली जलाने से पैदा हुआ धुआं लोगों के श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचाएगा तो कोरोना वायरस का असर और घातक हो जाएगा।
एक्सपर्ट की चेतावनी
फसल अवशेषों के प्रबंधन को लेकर केंद्र और पंजाब सरकार के सलाहकार संजीव नागपाल ने कहा, ‘यदि पराली जलाने के वैकल्पिक प्रबंध नहीं किए गए तो प्रदूषणकारी तत्व, कार्बन मोनोऑक्साइड और मीथेन जैसी जहरीले गैसों के कारण श्वसन संबंधी गंभीर समस्याओं में बढ़ोतरी हो सकती है, जिसके चलते कोविड-19 के हालात और बिगड़ जाएंगे क्योंकि कोरोना वायरस श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है।’