हरियाणा में नियम-134ए खत्म: अब आरटीई के तहत पढ़ेंगे गरीब बच्चे

Parmod kumar

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मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बीते बजट सत्र में इसकी घोषणा की थी। सरकार मॉडल संस्कृति स्कूलों में भी गरीब परिवारों के अधिक से अधिक बच्चों का दाखिला करवाएगी। इसके साथ ही निजी स्कूलों में भी खाली सीटों पर प्रवेश दिलाया जाएगा। हरियाणा सरकार ने नियम-134ए खत्म कर दिया है। अब इस नियम के तहत गरीब परिवार के बच्चों को निजी स्कूलों में 10 फीसदी सीटों पर मुफ्त दाखिला नहीं मिलेगा। सरकार शिक्षा का अधिकार नियम (आरटीई) के अंतर्गत आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को निजी स्कूलों में 25 फीसदी दाखिला दिलाएगी। नियम-134ए को खत्म करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने हरियाणा विद्यालय शिक्षा नियम, 2003 में संशोधन किया है। संशोधित नियमों को अब हरियाणा विद्यालय शिक्षा नियम, 2022 कहा जाएगा। विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण की ओर से नए नियमों की अधिसूचना जारी कर दी गई है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बीते बजट सत्र में इसकी घोषणा की थी। सरकार मॉडल संस्कृति स्कूलों में भी गरीब परिवारों के अधिक से अधिक बच्चों का दाखिला करवाएगी।  31 मार्च को खत्म होने जा रहे शैक्षणिक सत्र में नियम-134ए के तहत दाखिला पाने के लिए गरीब बच्चों को पूरा साल जद्दोजहद करनी पड़ी। 60 हजार से अधिक बच्चों ने आवेदन किए थे, जिन्हें से लगभग 42 हजार पात्र पाए गए। इनमें से 25 हजार को ही दाखिला मिल पाया, बाकी बच्चे इधर-उधर भटकते रहे।
एचपीएससी की मुहिम का असर: सौरभ कपूर
हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूलर्स कांफ्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सौरभ कपूर ने कहा कि यह उनकी मुहिम का असर है। वह इसे लेकर हाईकोर्ट भी गए थे। इसको जबरन स्कूल संचालकों पर थोपा जा रहा था। अब स्कूल संचालकों व अभिभावकों के बीच बना गतिरोध भी समाप्त हो जाएगा। निजी स्कूलों पर गलत तरीके से मुफ्त दाखिला देने का दबाव बनाया जाता था। प्रशांत मुंजाल ने कहा कि सरकार यह स्पष्ट करे कि नियम-134ए के तहत दाखिला पा चुके बच्चों को आगे कैसे पढ़ाया जाएगा। पुराने बकाया की अदायगी कब होगी। नए सत्र से क्या सभी बच्चे फीस देंगे।
नियम-134ए के तहत पढ़ने वाले बच्चों का क्या होगा : कुलभूषण
नियम-134ए को समाप्त करने पर निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि वह कभी 134-ए के खिलाफ नहीं थे। । सरकार अगर 12(1)(ष्ट) के अनुसार चयन और नियमित रूप से कानून के अनुसार भुगतान करती रहती तो ना तो गरीब अभिभावकों को दिक्कत आती और ना ही इसे खत्म करने की जरूरत पड़ती। इसे खत्म कर सरकार पुराने भुगतान से बच नहीं सकती  यह भी स्पष्ट किया जाए कि जो 75 हजार विद्यार्थी नियम-134ए के तहत निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं, उनका क्या होगा।