राइस मिलरों और आढ़तियों की धोखाधड़ी की मामला सामने आया है। जिस मामले पुलिस जांच कर रही है। जिसके चलते अब राइस मिलरों और आढ़तियों को गिरफ्तारी की भय सताने लगा है।
खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने अब 23.57 करोड़ रुपये के सीएमआर की धोखाधड़ी करने वाले चार राइस मिलों की संपत्ति को नीलाम कर धनराशि की वसूली की तैयारी शुरू कर दी है। इन चार राइस मिलों के 15 संचालकों, पार्टनरों व उनके आढ़ती गारंटरों के खिलाफ अब पुलिस तो जांच कर ही रही है। हालांकि अभी तक एक ही आरोपी को गिरफ्तार किया जा सका है।
बताते हैं कि हर साल धान की खरीद शुरू होने से पहले ही खरीद एजेंसियों द्वारा राइस मिलों से धान के बदले कस्टम मिल्ड राइस (सीएमआर) देने का करार किया जाता है। इस बार खरीद एजेंसी खाद्य आपूर्ति की ओर से पिछले साल जिन राइस मिलों से सीएमआर का करार किया गया या जिन्हें धान दिया गया था, उनमें से छह राइस मिलर समय पर सीएमआर की वापसी नहीं कर सके।
इस पर खाद्य आपूर्ति विभाग ने इन राइस मिलों को नोटिस किया लेकिन इसके बावजूद भी रियल एग्रो फूड्स द्वारा 70189291 रुपये का चावल, गोयल ओवरसीज द्वारा 63162096 रुपये का, केडी ओवरसीज द्वारा 59559936 रुपये का और रोहित ट्रेडिंग कंपनी द्वारा 42876975 रुपये का चावल एफसीआई को नहीं लौटाया जा सका। जबकि दो अन्य राइस मिलों ने चावल की धनराशि का भुगतान कर दिया, जिससे उनके खिलाफ कार्रवाई को टाल दिया गया। लेकिन जिन चार राइस मिलों ने चावल कभभुगतान नहीं किया, उनके खिलाफ डीएफएससी ने संबंधित थाने में तहरीर दी।
इसके बाद एफआईआर दर्ज न हो, इसके लिए सियासी दबाव डलवाने की राजनीति भी शुरू हुई, लेकिन बकाया धनराशि करोड़ों में थी, इसलिए बात नहीं बनी। पुलिस ने कई दिनों तक एफआईआर दर्ज नहीं की, लेकिन फिर दर्ज करनी पड़ी। एक राइस मिल संचालक की गिरफ्तारी के बाद चारों राइस मिलों से 15 में से 14 आरोपियों पर भी गिरफ्तारी का खतरा मंडराने लगा। यही कारण है कि कई राइस मिलर ने तो अपना मोबाइल फोन भी बंद कर लिया है।
सांगठनिक और राजनीतिक स्तर पर भी गिरफ्तारी न हो, इसके लिए दबाव बनाने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि दूसरी ओर डीएफएससी अनिल कालरा का कहना है कि इन राइस मिल संचालकों की संपत्ति को विभाग से पहले की संबद्ध की जा चुकी है, अब उसकी नीलामी करके सरकारी धन की रिकवरी की तैयारी की जा रही है।