26 जनवरी, यानी गणतंत्र दिवस, के दिन किसान संगठनों ने ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान किया है। दिल्ली पुलिस इस रैली के खिलाफ है, जबकि किसान संगठनों ने मांग की है कि उन्हें रैली निकालने की इजाजत दी जाए। इसको लेकर दायर दिल्ली पुलिस की अर्जी पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच करेगी।
दिल्ली पुलिस के तर्क क्या हैं?
- कोई भी रैली या ऐसा विरोध जो गणतंत्र दिवस समारोह में खलल डालने की कोशिश करता है, वह देश को शर्मिंदा करने वाला होगा।
- इससे दुनियाभर में देश की बदनामी होगी। कानून-व्यवस्था खराब होने की स्थिति बन सकती है।
- अलग-अलग रिपोर्ट्स का हवाला देकर कहा गया है कि कई किसान गणतंत्र दिवस की परेड में खलल डालने के लिए लाल किले तक पहुंचने की तैयारी कर रहे हैं।
किसान नेताओं का क्या कहना है?
- किसान नेताओं का कहना है कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर तिरंगे के साथ निकाला जाएगा।
- गणतंत्र दिवस समारोह में कोई रुकावट नहीं डाली जाएगी।
आंदोलन में संदिग्ध संगठनों की भूमिका पर भी हो सकती है सुनवाई
पिछले हफ्ते हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन में संदिग्ध संगठनों की सक्रियता पर भी नोटिस लिया था। एक पिटीशन में कोर्ट को बताया गया था कि आंदोलन में कनाडा के संगठन सिख फॉर जस्टिस के बैनर लहरा रहे हैं। आशंका है कि खालिस्तान समर्थक यह संगठन आंदोलन के लिए फंड उपलब्ध करवा रहा है। कई देश विरोधी घटनाओं में संदिग्ध PFI भी आंदोलन को भड़काने में लगा है। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस बात को गंभीर बताते हुए केंद्र से जवाब मांगा था।
किसानों का आरोप- आंदोलन से जुड़े लोगों को टारगेट किया जा रहा
क्रांतिकारी किसान यूनियन के मुखिया दर्शन पाल ने कहा कि नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने उन लोगों के खिलाफ मामले दर्ज करना शुरू कर दिया है जो किसान आंदोलन का हिस्सा हैं या जिन्होंने इसका समर्थन किया है। NIA ने किसान आंदोलन से जुड़े 50 से ज्यादा नेताओं और कारोबारियों को समन भेजा है। इनमें पटियाला में बब्बर खालसा के आतंकी जगतार सिंह हवारा के पिता गुरचरन सिंह और किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा भी शामिल हैं।