मच्छर भगाने वाले कॉइल से 6 लोगों की मौत क्या लिक्विड और फास्ट कार्ड भी सेफ नहीं, मच्छर से फिर खुद को कैसे रखें सुरक्षित

Lalita Soni

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  • दिल्ली का एक परिवार मच्छर भगाने वाला कॉइल जलाकर सोने चला गया। घर के खिड़की और दरवाजे बंद थे। इससे कमरे में धुआं भर गया और कार्बन मोनोऑक्साइड गैस निकली।

इसी बीच कॉइल की आग गद्दे पर गिरी और कमरे में आग लग गई। इस वजह से सोते समय 6 लोगों मौत हो गई। वहीं 2 लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया गया।गर्मी के मौसम में मच्छर बढ़ जाते हैं। इससे बचने के लिए आप सब भी दिल्ली के इस परिवार की तरह सोते टाइम कॉइल, अगरबत्ती या दूसरे रेप्लिकेंट इस्तेमाल करते होंगे।क्या आप जानते हैं कि मच्‍छरों से निजात देने वाले यही रेप्लिकेंट कई तरह की बीमारियों का कारण है। इसके जहरीले धुएं से जान तक जा सकती है।ऐसे में मच्छरों के हमले से खुद को बचाने का क्या उपाय है। इस पर एक्सपर्ट से बात करेंगे जरूरत की खबर में…

एक्सपर्ट: डॉ. शुचिन बजाज, फाउंडर डायरेक्टर, उजाला सिग्नस अस्पताल, दिल्ली और डॉ. अरुणेश कुमार, पल्मनोलॉजिस्ट, लंग स्पेशलिस्ट, पारस हॉस्पिटल गुरुग्राम

सवाल: मच्छर मारने वाली कॉइल क्यों डेंजरेस है?
जवाब: 
मच्छर मारने वाली कॉइल और अगरबत्ती में पायरेथ्रिन पेस्टीसाइड, डाईक्लोरो-डाईफेनाइल-ट्राईक्लोरोइथेन(DDT), कार्बन फॉस्फोरस जैसे हानिकारक तत्व होते हैं।

अगर बंद कमरे में रातभर या कुछ घंटे तक कॉइल या अगरबत्ती जलाकर सोते हैं तो कमरे के अंदर की गैस बाहर नहीं निकल पाती। पूरे कमरे में कार्बन मोनोक्साइड भर जाती है। ऑक्सीजन की मात्रा घटने लगती है।

धीरे-धीरे कार्बन मोनोक्साइड कमरे में मौजूद लोगों के शरीर में भरने लगता है। जिससे उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगती है और दम घुटने से मौत होने की पॉसिबिलिटी बढ़ जाती है।

कॉइल पर हुए यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी की एक रिसर्च में यह पाया गया कि मच्छर मारने वाली एक कॉइल जलाने से लगभग 100 सिगरेट जितना धुआं निकलता है। इसका मतलब यह सिगरेट से भी ज्यादा डेंजरस होती है।

सवाल: यह मॉस्किटो कॉइल या अगरबत्ती काम कैसे करती है?
जवाब:
 इसमें मच्छर मारने के उत्पादकों के साथ-साथ ऐसे भी केमिकल होते हैं, जो कॉइल या अगरबत्ती को धीरे-धीरे जलने के लायक बनाते हैं।

यह दो तरह से काम करती है। इनमें मौजूद कीटनाशक मच्छरों को मारते हैं जबकि उनमें मौजूद सुगंधित चीजें मच्छरों को दूर भगाते हैं।

मच्छर भगाने के लिए आमतौर से इन 8 चीजों का इस्तेमाल करते हैं..

 

  • कॉइल
  • लिक्विड
  • अगरबत्ती
  • फास्ट कार्ड
  • क्रीम
  • रोल ऑन
  • रैकेट
  • मच्छरदानी

सवाल: कॉइल या अगरबत्ती जलाकर सोने से हेल्थ को क्या नुकसान होते हैं?
जवाब: 
सिर्फ कॉइल या अगरबत्ती ही नहीं, अगर आप किसी भी ऐसी चीज का इस्तेमाल मच्छर भगाने के लिए कर रहे हैं, जिससे धुआं निकलता है तो कई तरह के हेल्थ इश्यूज हो सकते हैं।

हेल्थ को कैसे नुकसान पहुंचाती है कॉइल, अब इसे डिटेल में समझते हैं…

अस्थमा: अगर आप बंद कमरे में बहुत देर तक मच्छरों को मारने या भगाने के लिए धुआं करेंगे तो यह आपके लंग्स में जमा हो जाएगा। इस वजह से सांस की नली सिकुड़ जाएगी और अस्थमा की समस्या होगी।

ब्रोंकाइटिस: धुएं की वजह से सांस की नल्लियां यानी ब्रोन्कियल या मुंह और नाक और फेफड़ों के बीच के एयरवेज सूज जाते हैं। इस वजह से लगातार धुएं के कॉन्टैक्ट में रहने से क्रॉनिक या एक्यूट ब्रोंकाइटिस होने का रिस्क रहता है।

दम घुटना: कॉइल में बेंजो पायरेंस और बेंजो फ्लूरोओथेन नामक कैमिकल सांस लेने में दिक्कत करते हैं। बहुत देर तक कॉइल, अगरबत्ती या फार्स्ट कार्ड के आसपास रहने से ये धुआं शरीर के अंदर जा सकता है, जिससे सांस फूलने और दम घुटने की प्रॉबल्म हो सकती है।

आंखों में जलन: धुएं की वजह से आंखों में जलन, धुंधलापन और मोतियाबिंद जैसी प्रॉबल्म भी हो सकती है।

लंग कैंसर: चेस्ट रिसर्च फाउंडेशन की एक रिसर्च है जिसमें बताया गया कि मच्छर भगाने वाली कॉइल और अगरबत्ती के धुएं में कैंसर पैदा करने वाले तत्व होते हैं। वहीं पहले चीन और ताइवान में हुई स्टडी में भी साबित हो चुका है कि इस धुएं का कनेक्शन लंग कैंसर से है।

स्किन डिजीज: कुछ लोग दिन-रात मच्छर भगाने वाली क्रीम या रोल ऑन लगाते है। इससे स्किन का नेचुरल कलर बदलने लगता है। स्किन पर एलर्जी होने के साथ कभी-कभी दाने और खुजली भी हो सकती है।

सवाल: अच्छा तो फिर आजकल तो नो स्मोक कॉइल मिलती है क्या उससे भी लंग्स खराब होते हैं?
जवाब
: बाजार में मिलने वाले नो स्मोक कॉइल में धुआं तो नहीं होता, पर कार्बन मोनोऑक्साइड काफी ज्यादा निकलती है। इससे भी 100% लंग्स को नुकसान होता है।

सवाल: फिर जो नगर निगम की गाड़ी गाली-मोहल्लों में मच्छर भगाने के लिए धुआं करती है उससे भी दिक्कत होती होगी?
जवाब: 
नहीं, नगर निगम की गाड़ी धुआं खुली जगह पर करती है जिससे जो भी धुंआ होता है वो पूरे वातावरण में फैल जाता है। धुएं वाली गाड़ी हफ्ते में एक या दो बार ही आती है। इस वजह से इससे इतनी ज्यादा दिक्कत नहीं होती है।

सवाल: लोग न्यू बॉर्न बेबी को मच्छरों से बचाने के लिए पूरा दिन कमरे में कॉइल या अगरबत्ती जलाते हैं ये कितना सही है?
जवाब: 
डफरिन हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान खान बताते हैं कि छोटे बच्चों की सांस नली यानी विंड पाइप बहुत छोटी और कोमल होती है।इस नली के बीच रेगुलर डिस्चार्ज होता रहता है, जिससे गंदगी बाहर निकलती रहती है। इसी नली से हवा अंदर जाती है।कॉइल या लिक्विड के जलने पर उसमें से निकलने वाली गैस इस नली को सिकोड़ने लगती है जिससे लंग पर बुरा असर पड़ता है। इससे बच्चों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।

ध्यान दें: 6 महीने से कम उम्र के बच्चों या न्यू बॉर्न बेबी को तो अगरबत्ती और कॉइल दोनों के ही संपर्क में नहीं लाना चाहिए।

सवाल: मच्छर भगाने का सबसे सही तरीका क्या है?
जवाब:
कॉइल, अगरबत्ती से निकलने वाला धुआं किस तरह डेंजरेस है यह आप अब तक जान चुके हैं। लिक्विड भी सेफ नहीं। इसमें एलेथ्रिन और एयरोसोल का मिश्रण होता है। जो कीटनाशक है।

बोतल के ऊपरी सिरे पर काले रंग की इलेक्ट्रोड रॉड लगी होती है। जब रॉड गर्म होती है तो इसमें से धीरे-धीरे लिक्विड धुआं बनकर निकलना शुरू हो जाता है, जो लंग्स को नुकसान पहुंचाता है।कुछ लोग मच्छरों से बचने के लिए स्किन पर क्रीम और कपड़ों पर रोल-ऑन लगाते हैं। ये क्रीम और रोल-अप आपको मच्छरों से तो बचाती है लेकिन इससे स्किन को प्रॉबल्म हो सकती है।अगर आपकी मजबूरी है तो मच्छरों को भगाने के लिए लिक्विड या कॉइल का यूज एक से दो घंटे से ज्यादा न करें।कुल मिलाकर मच्छर से बचने का सेफ उपाय मच्छरदानी ही है। इससे आपको सांस लेने में भी तकलीफ नहीं होगी और मच्छरों से होने वाली बीमारियों से भी बचेंगे।

आपके घर को मच्छर अपना

 न समझें इसलिए इन उपायों को आजमा सकते हैं…

  • मच्छरदानी यूज करें, यही सेफ ऑप्शन है।
  • घर के आसपास पानी जमा न होने दें।
  • घर के अंदर और बाहर साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें।
  • घर के बर्तन, बाल्टी, कूलर, घड़ा में पानी भरा है तो उसे खुला न छोड़ें।
  • रात में मच्छरदानी लगाकर सोने की आदत डालें।
  • बच्चों को फुल स्लीव के कपड़े पहनाएं, देर शाम तक खेलने बाहर न भेजें।
  • जालीदार दरवाजे लगवाएं, जिससे बाहर के मच्छर अंदर न आ पाए।
  • घर के खिड़की-दरवाजे शाम होने से पहले ही बंद कर लें।

मच्छरों की फौज घर नहीं आएगी, अगर लगाएंगे यह पौधा

डॉ. शुचिन बजाज घर की एंट्रेंस यानी मेन गेट और खिड़कियों पर खुशबूदार पौधे लगाने की सलाह देते हैं। कुछ पौधों की महक इतनी तेज होती है कि मच्छर अंदर नहीं आ पाते।

जैसे-

  • वन तुलसी
  • मैरीगोल्ड
  • लैवेंडर
  • रोजमेरी
  • पुदीना (हॉर्स मिंट)
  • लेमन ग्रास
  • लहसुन का पौधा

सवाल  मच्छर के काटने से ज्यादा खुजली क्यों होती है?जवाब  जब मच्छर आपको काटता है तो शरीर में अपना लार छोड़ता है। इंसानों के शरीर का अपना इम्यून सिस्टम होता है, जो किसी बाहरी चीज के अंदर आने से रिएक्ट करता है।मच्छर के लार को आपका शरीर केमिकल की तरह लेता है। इसलिए इम्यून सिस्टम इसे तुरंत शरीर से बाहर निकालने का फैसला लेता है और ये मैसेज दिमाग को देता है। इस रिएक्शन की वजह से ही खुजली होती है।

मच्छर काटने के बाद खुजली, जलन और लाल चकत्ते हो गए हैं तो घर पर ही कर सकते हैं इलाज

शहद: जहां मच्छर ने काटा है उस जगह पर शहद लगा लें। इससे सूजन कम हो जाती है और खुजली भी दूर हो जाएगी। शहद में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जो घाव को जल्दी भरते हैं।

एलोवेरा: एलोवेरा जेल लगा सकते हैं। इससे खुजली कम होगी और सूजन भी नहीं आएगी। एलोवेरा जेल लगाने के बाद ठंडक महसूस होगी, जो जलन को भी शांत करता है।

लहसुन: लहसुन में एंटीवायरल गुण होते हैं। इसका पेस्ट जैसा बनाकर जिस जगह पर सूजन है वहां लगा लें। इससे खुजली में बहुत आराम मिलेगा।

तुलसी: तुलसी के पत्तों को भी मच्छर के काटने वाली जगह पर लगा सकते हैं। इससे खुजली में राहत मिलेगी।

बर्फ का टुकड़ा: बर्फ का टुकड़ा यानी आइस क्यूब को रगड़ सकते हैं। इससे खुजली कम हो जाएगी, सूजन भी नहीं होगी और जलन में भी आराम मिलेगा।

नींबू का छिलका: नींबू का छिलका उस जगह पर लगाएं जहां मच्छर ने काटा है और लाल चकत्ते के निशान भी गायब हो जाएंगे। खुजली भी नहीं होगी।

आपको कौन से मच्छर काटते हैं क्या आप जानते हैं?

सिर्फ फीमेल मच्छर ही इंसानों को काटते हैं और उनका खून पीते हैं, क्योंकि उन्हें अपनी जनसंख्या बढ़ाने के लिए अपने शरीर में अंडे बनाने होते हैं। इन अंडों के लिए इंसानों के खून में मौजूद पोषक तत्वों की जरूरत होती है। एक फीमेल मच्छर एक बार में 30 से 300 अंडे दे सकती है। दोबारा इतने ही अंडे देने के लिए फिर से इंसानी खून पीने की जरूरत पड़ती है।

दूसरों की तुलना में आपको मच्छर ज्यादा काटते हैं तो नीचे लिखे कारण पढ़ें…

कार्बन डाईऑक्साइड

आप जब सांस छोड़ते हैं तो आपके शरीर से कार्बन डाईऑक्साइड गैस बाहर आती है। कार्बन डाईऑक्साइड की गंध से मच्छर इंसानों की तरफ बहुत तेजी से आकर्षित होते हैं। फीमेल मच्छर अपनी ‘सेंसिंग ऑर्गेन्स’ से कार्बन डाईऑक्साइड की गंध पहचान लेती है।

प्रेग्नेंसी

प्रेग्नेंट महिलाओं को मच्छर दूसरों की तुलना में ज्यादा काटते हैं। प्रेग्नेंट महिलाएं सामान्य इंसान की तुलना में 20% ज्यादा कार्बन डाईऑक्साइड रिलीज करती हैं।

ब्लड ग्रुप

जापान के रिसर्चर बता चुके हैं कि ‘O’ और ‘A’ ब्लड ग्रुप के लोगों की तरफ मच्छर सामान्य लोगों की तुलना में ज्यादा आकर्षित होते हैं। इनके खून में कुछ खास प्रकार के तत्व पाए जाते हैं, जो मच्छरों को आकर्षित करते हैं।

पसीना

इंसान का पसीना और लैक्टिक एसिड मच्छरों को काफी पसंद होता है। इसलिए ऑफिस से लौटने, वर्कआउट पूरा करने या बाहर थककर बैठने पर मच्छर काटते हैं।

बीयर

फ्रांस की IRD रिसर्च केंद्र के वैज्ञानिकों के मुताबिक जो लोग बीयर पीते हैं, मच्छरों को उनका खून काफी अच्छा लगता है। इसलिए या तो इसे न पिएं या फिर पार्टी के वक्त पंखों और कूलर की व्यवस्था करें।

क्या आपको पता है?

दुनियाभर में मच्छरों से होने वाली बीमारियों की वजह से 10 लाख से ज्यादा लोग हर साल अपनी जान गंवा देते हैं।

मच्छरों के काटने से होने वाली कुछ बीमारियां…

  • मलेरिया
  • चिकनगुनिया
  • येलो फीवर
  • जीका वायरस
  • डेंगू