प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) ओडिशा के किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो गई है. बड़ी संख्या में राज्य के किसान आपदा से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए इस योजना के तहत पंजीकृत हो रहे हैं. 2020 खरीफ सीजन के दौरान इस योजना का लाभ लेने वाले राज्यों में ओडिशा दूसरे नंबर पर पहुंच गया. राज्य के 51 लाख किसानों में से 47.2 लाख किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पंजीकृत हैं.
दो साल पहले स्थिति ऐसी नहीं थी. 2018 में राज्य के प्रत्येक 10 भूमिहीन किसानों में से 1 ने ही केंद्र सरकार की योजना का लाभ लेने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था. लेकिन आज स्थिति बिल्कुल उलट है. राज्य के प्रत्येक 10 भूमिहीन किसानों में से 9 इस योजना का लाभ ले रहे हैं. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत पीएम मोदी ने 2016 में की थी. योजना के तहत आपदा से हुए नुकसान के बदले बीमित किसानों को पैसे दिए जाते हैं.
93 प्रतिशत भूमिहीन किसान ले रहे योजना का लाभ
ओडिशा टीवी की एक रिपोर्ट के मुताबकि, केंद्रीय कृषि मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2018-19 में, राज्य में फसल बीमा योजना के तहत पंजीकृत कुल भूमिहीन किसान लगभग 1.729 लाख थे, जबकि ओडिशा सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार राज्य में 7 लाख से अधिक भूमिहीन किसान थे. हालांकि वर्ष 2019-20 में इसमें तेज उछाल दर्ज हुआ. राज्य के 6.48 लाख से अधिक भूमिहीन किसानों ने फसल बीमा योजना के तहत पंजीकरण कराया, जो राज्य के कुल भूमिहीन किसानों का लगभग 93 प्रतिशत है.
फरवरी 2016 में योजना के शुभारंभ के बाद, 2016 खरीफ सीजन के दौरान ओडिशा में कुल कृषि योग्य क्षेत्र का बीमा मात्र 17.7 लाख हेक्टेयर था. वहीं खरीफ 2020 में बीमित क्षेत्र के मामले में बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी हुई और बीमित क्षेत्र 17.7 लाख से कई गुना बढ़ कर 86.8 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया.
क्लेम पाने के मामले में भी ओडिशा के किसान काफी आगे
ऐसा नहीं है कि राज्य के किसानों ने सिर्फ बीमा ही कराया बल्कि उन्हें इसका लाभ भी खूब मिला है. ओडिशा के भूमिहीन किसानों द्वारा प्राप्त दावों पर नजर डालें तो 2017 के खरीफ सीजन के दौरान क्लेम अनुपात 89.1 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले 221.6 प्रतिशत था. क्लेक के आंकड़े बताते हैं कि ओडिशा के किसानों के बीच आखिर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की लोकप्रियता की वजह क्या है.