महाशिवरात्रि पर बना दुर्लभ संयोग, इन उपायों से मिलेगी साढ़ेसाती से राहत

Parmod Kumar

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महाशिवरात्रि का महापर्व कल है. इस दिन भगवान शिव-माता पार्वती की पूजा होती है. इस बार कई साल बाद शिव पूजा का अद्भूत संयोग बना है. पढ़ें महत्वपूर्ण जानकारी-

विवाह की अड़चने दूर करेगा महाशिवरात्रि का ये उपाय

कन्या के विवाह में समस्या आ रही है या फिर कालसर्प दोष, शनि की ढ़य्या व साढ़ेसाती के प्रकोप को शांत करने के लिए अभिमंत्रित पारदेश्वर शिवलिंग पर अभिषेक करें. संतान प्राप्ति के लिए आप अभिमंत्रित स्फटिक निर्मित शिवलिंग पर अभिषेक करें.

महाशिवरात्रि पर महादेव के रुद्राभिषेक का महत्व

शास्त्रों में कहा गया है रुतम्-दु:खम, द्रावयति- नाशयतीतिरुद्र: यानी कि रुद्राभिषेक से भोले सभी दु:खों को नाश कर देते हैं. महाशिवरात्रि पर शहद-घी से रुद्राभिषेक करने पर धन वृद्धि होती है. इत्र से अभिषेक करने वाले बीमारियों से दूर रहते हैं. दूध से रुद्राभिषेक साधक को संतान सुख प्रदान करता है. वहीं सरसों के तेल से रुद्राभिषेक करने वाले पर शत्रुओं का नाश होता है.राशि अनुसार महाशिवरात्रि के मंत्र

मेष – ॐ पार्वतीपतये नमः
वृषभ – ॐ त्रिनेत्राय नम:
कर्क – ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः
सिंह – ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्
कन्या – ऊं नमः शिवाय
तुला – ॐ ज्ञानभूताय नम:
वृश्चिक –  ऊं व्योमात्मने नम:
धनु – ॐ ईशानाय नम:
मकर -ॐ श्रीकंठाय नम:
कुंभ – ॐ अनंतधर्माय नम:
मीन – ॐ युक्तकेशात्मरूपाय नम:

महाशिवरात्रि पर बना दुर्लभ संयोग

महाशिवरात्रि पर एक दिव्य और दुर्लभ संयोग बना है. 18 फरवरी को यानी आज शनि और सूर्य के अलावा चंद्रमा भी कुंभ राशि में विराजमान रहेंगे. कुंभ राशि में शनि, सूर्य और चंद्रमा के मिलने से त्रिग्रही योग का निर्माण होगा. इसके अलावा महाशिवरात्रि पर शनि प्रदोष व्रत का भी शुभ संयोग बन रहा है. ऐसे में अगर आपकी राशि पर शनि की साढ़ेसाती या शनि की ढैय्या का प्रभाव है, तो इस विशेष दिन कुछ उपाय करने से आपको राहत मिल सकती है. इस दिन जल में काले तिल मिलाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करना चाहिए. इससे साढ़ेसाती का दुष्प्रभाव कम होगा.महाशिवरात्रि की पूजा में रखें इन बातों का ध्यान

शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय लोहे या स्टील के बर्तन का उपयोग न करें. इसके बदले आप पीतल, चांदी का प्रयोग करें. भगवान शिव के अभिषेक में भूलकर भी भैंस के दूध का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. शंकर भगवान की पूजा में हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है. भोलेनाथ को कनेर और कमल के अलावा कोई भी अन्य फूल प्रिय नहीं हैं. शिव जी को किसी भी  लाल रंग के फूल, केतकी और केवड़े के फूल नहीं चढ़ाना चाहिए. ऐसा करने से पूजा का फल नहीं मिलता है. शास्त्रों के अनुसार शिव जी की पूजा में कुमकुम और रोली का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसलिए शिवलिंग पर कभी भी रोली नहीं चढ़ानी चाहिए.शिवलिंग परिक्रमा से जुड़े इन नियमों का करें पालन

आमतौर पर सभी देवी-देवताओं की पूरी परिक्रमा की जाती है. लेकिन शिवलिंग की आधी परिक्रमा करने का विधान है. हालांकि शिवलिंग की आधी परिक्रमा कर वापस आधी परिक्रमा करनी चाहिए. शिवलिंग की परिक्रमा करते समय दिशा का भी विशेष ध्यान रखें. सभी पूजा में देवी-देवताओं की परिक्रमा दाईं ओर से शुरू होती है. लेकिन शिवलिंग की परिक्रमा बाईं ओर से की जाती है. परिक्रमा करते समय कभी भी जलाधारी को लांघना नहीं चाहिए. इसे बहुत अशुभ माना जाता है. इससे शारीरिक ऊर्जा की हानि होती है. एक नहीं बन रहे हैं आज कई शुभ योग

पंडित सुरेश श्रीमाली के अनुसार इस बार महाशिवरात्रि पर वर्षों बाद दुर्लभ संयोग बन रहे हैं. इस साल महाशिवरात्रि के दिन ही शनि प्रदोष व्रत भी है. शनि प्रदोष व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है. साथ इस दिन वाशी योग, सुनफा योग, शंख योग और शाम 5 बजकर 41 मिनट के बाद सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है. इन शुभ योगों में किए गए पूजा-पाठ और कार्यों का कई गुना अधिक फल मिलता है.महाशिवरात्रि पर 30 साल बाद खास योग (Mahashivratri 2023 Shubh Yoga)

इस साल महाशिवरात्रि पर शनि प्रदोष व्रत का संयोग भी बन रहा है. वहीं 30 साल बाद शनि देव कुंभ राशि में संचरण कर रहे हैं. इससे शनि और सूर्य महाशिवरात्रि पर कुंभ राशि में रहेंगे. इसके साथ ही शुक्र ग्रह मीन राशि में विराजमान हैं.