लिथोपेडियन एक बहुत ही दुर्लभ मेडिकल कंडीशन है जिसमें गर्भ में भ्रूण मर जाने के बाद समय के साथ-साथ वह कैल्शियम की परत से ढककर पत्थर जैसा बन जाता है। जब गर्भाशय की बजाय गर्भ पेट में बनता है और फिर गर्भ ठहर नहीं पाता, तो शरीर उसे बाहर नहीं निकाल पाता।
इंसानी शरीर में कई बार दुर्लभ आंतरिक और बाहरी बदलाव हो सकते हैं। ऐसे अजीब बदलाव को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। मेडिकल कंडीशन से जुड़ा एक दुर्लभ मामला कोलंबिया से सामने आया है।
यहां एक 73 साल की बुजुर्ग महिला उस समय हैरान रह गईं जब उन्हें पेट दर्द की वजह जानने डॉक्टर के पास जाना पड़ा। जांच में पता चला कि उनके पेट में पिछले 40 साल से एक ‘पत्थर का बच्चा (Stone Baby) मौजूद है।
82 साल की इस महिला के शरीर में लगभग 4 पाउंड (करीब 1.8 किलो) का कैल्सिफाइड भ्रूण था, जिसे मेडिकल भाषा में लिथोपेडियन (Lithopedion) कहा जाता है। हैरानी की बात यह है कि महिला को इतने सालों तक इसका कोई पता नहीं चला। एक्स-रे करने पर डॉक्टरों को यह दुर्लभ स्थिति समझ आई। डॉक्टरों ने इसे ऑपरेशन करके इसे निकाल लिया है।
वैज्ञानिकों ने बताया कि यह स्थिति बेहद दुर्लभ है और अब तक मेडिकल इतिहास में सिर्फ 300 मामलों में ही दर्ज की गई है। हर 10000 गर्भधारण में सिर्फ 1 मामले में ऐसा हो सकता है। 2013 में भी कोलंबिया की 82 साल की महिला के साथ ऐसा ही मामला सामने आया था। उन्हें पेट दर्द हो रहा था, और जांच में पता चला कि उनके शरीर में 40 साल पुराना स्टोन बेबी मौजूद है।
लिथोपेडियन एक बहुत ही दुर्लभ मेडिकल कंडीशन है जिसमें गर्भ में भ्रूण मर जाने के बाद समय के साथ-साथ वह कैल्शियम की परत से ढककर पत्थर जैसा बन जाता है। जब गर्भाशय की बजाय गर्भ पेट में बनता है और फिर गर्भ ठहर नहीं पाता, तो शरीर उसे बाहर नहीं निकाल पाता। ऐसे में शरीर सुरक्षा प्रक्रिया के तहत भ्रूण को कैल्शियम से ढक देता है और वह पत्थर में बदल जाता है।
NIH पर प्रकाशित एक अध्ययन (ref।) के अनुसार, यह तब होता है जब गर्भधारण गर्भाशय की बजाय पेट में हो जाता है। पेट में भ्रूण को पर्याप्त खून नहीं मिल पाता और गर्भ ठहरने में असफल हो जाता है। ऐसे में भ्रूण बाहर नहीं निकल पाता, तो शरीर खुद उसे ‘पत्थर’ में बदल देता है ताकि कोई संक्रमण न हो। यही प्रक्रिया शरीर में किसी भी बाहरी चीज को बेअसर करने के लिए होती है।
क्यों नहीं पता चलता?
लिथोपेडियन बनने के बाद यह कई दशकों तक शरीर में बिना किसी लक्षण के रह सकता है। कई बार एक्स-रे या अन्य टेस्ट में ही इसका पता चलता है। कुछ लोग इसमें कोई परेशानी न होने पर इसे निकलवाते भी नहीं हैं।
क्या अब भी महिलाओं में बन सकता है स्टोन बेबी?
आजकल आधुनिक चिकित्सा में शुरुआती जांचों में ही समस्या पकड़ ली जाती है इसलिए अब स्टोन बेबी बनना बेहद कम हो गया है। आजकल मेडिकल टेस्ट और अल्ट्रासाउंड उपलब्ध हैं जिससे इस तरह की कंडीशन का पहले ही पता चल जाता है इसलिए अब ऐसे मामले बहुत कम सामने आते हैं।
लिथोपेडियन के लक्षण
लिथोपेडियन बिना किसी लक्षण के हो सकता है, कई बार इसके लक्षण भी नजर आ सकते हैं जिन पर नजर रखनी जरूरी है। पेल्विस हिस्से में दर्द होना, पेट में भारीपन का अहसास, बड़े, कठोर द्रव्यमान के कारण के लक्षण। इस कंडीशन की पहचान अक्सर इमेजिंग तकनीकों जैसे कि प्लेन रेडियोग्राफी या कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन के जरिए की जाती है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है।













































