किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन: ट्रैक्टर-ट्रेलर में शिफ्ट, सरकार से बातचीत जारी
डल्लेवाल का अनशन और नई व्यवस्था
चंडीगढ़: खनौरी बॉर्डर पर 58 दिनों से अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को बेहतर सुविधाओं वाले एक खास ट्रैक्टर-ट्रेलर में शिफ्ट किया गया। इस ट्रैक्टर-ट्रेलर में एसी, कांच की खिड़कियां और साउंडप्रूफ दरवाजे जैसी सुविधाएं हैं। यह व्यवस्था उनके इलाज में आ रही देरी के कारण की गई, क्योंकि उनके लिए तैयार किया जा रहा 20 फुट लंबा और 8 फुट चौड़ा कमरा अभी तैयार नहीं हुआ है।
सरकार और किसान नेताओं के बीच बैठक का दौर
डल्लेवाल ने 8 जनवरी को चिकित्सा सहायता लेने के लिए सहमति दी थी। इससे पहले, केंद्रीय कृषि मंत्रालय की संयुक्त सचिव प्रिया रंजन ने किसान नेताओं को 14 फरवरी को चंडीगढ़ में केंद्रीय और पंजाब के मंत्रियों के साथ बैठक के लिए पत्र दिया था। सुरक्षा में भी अब थोड़ी ढील दी गई है। पहले, उनके आसपास कई ट्रैक्टर-ट्रेलरों को वेल्डिंग करके बैरिकेडिंग की गई थी ताकि किसी को अंदर आने से रोका जा सके।
डल्लेवाल की मांगें और देशभर में समर्थन
जगजीत सिंह डल्लेवाल काफी समय से अपनी मांगों को लेकर अनशन पर हैं। सरकार के साथ उनकी बातचीत का दौर जारी है। उनका स्वास्थ्य चिंता का विषय बना हुआ है, जबकि देश के अन्य हिस्सों में किसान उनके समर्थन में प्रदर्शन कर रहे हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और किसान नेताओं के बीच बातचीत का नतीजा क्या निकलता है।
किसानों का गंभीर आरोप
खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता काका सिंह कोटड़ा और अभिमन्यु कोहाड़ ने सरकार पर डल्लेवाल के इलाज में गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता देने के लिए अनुभवहीन ट्रेनी डॉक्टर भेजे गए थे। एक डॉक्टर द्वारा सही तरीके से ड्रिप न लगाने के कारण डल्लेवाल के दोनों हाथों से खून बहने लगा। इसके बाद प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों ने उनका इलाज किया।
सीनियर डॉक्टरों ने मांगी माफी
बुधवार को सीनियर अधिकारियों और डॉक्टरों की एक टीम खनौरी बॉर्डर पर पहुंची और डल्लेवाल से माफी मांगी। उन्होंने स्वीकार किया कि चिकित्सा सेवा में लापरवाही हुई है और वादा किया कि अस्थायी अस्पताल बनाकर सीनियर डॉक्टरों की संख्या बढ़ाई जाएगी। इसके बाद डल्लेवाल ने इलाज के लिए सहमति दे दी।
अगले कदम की प्रतीक्षा
डल्लेवाल के अनशन और सरकार के साथ चल रही बातचीत के बीच, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि किसान आंदोलन का भविष्य क्या दिशा लेता है। किसानों की मांगों और सरकार की प्रतिक्रिया पर पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं।