खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के मुताबिक खाद्य तेलों की मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर, जानिए

Parmod Kumar

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सरकार और कृषि वैज्ञानिकों की तमाम कोशिशों के बावजूद खाद्य तेलों (Edible Oils) के उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनने का सपना अभी दूर की कौड़ी दिखाई दे रहा है. क्योंकि उत्पादन की तुलना में हमारी घरेलू मांग तेजी से बढ़ रही है. खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति का कहना है कि खाद्य तेलों का घरेलू उत्पादन, घरेलू मांग को पूरा करने में असमर्थ है. खाद्य तेलों की घरेलू खपत मांग लगभग 250 लाख टन है, जबकि उत्पादन केवल 111.6 लाख टन ही है. इस गैप को भरने के लिए आयात का सहारा लिया जा रहा है.

खाद्य तेलों की मांग और आपूर्ति (Demand and Supply) के बीच का अंतर लगभग 56 फीसदी है. यानी इस मामले में हमारी निर्भरता दूसरे देशों पर है. सरकार ने कहा है कि इसीलिए खाद्य तेलों के अंतरराष्ट्रीय दामों में वृद्धि से देश में खाद्य तेलों के घरेलू मूल्यों पर प्रभाव पड़ता है. पिछले कुछ समय से खाद्य तेलों के दाम में तेजी से वृद्धि हुई है.

क्यों बढ़ा खाद्य तेलों का दाम

जनसंख्या में वृद्धि और लोगों के जीवन स्तर में सुधार के कारण खाद्य तेलों की घरेलू मांग में उत्पादन की तुलना में अधिक तेजी से वृद्धि हो रही है. इसलिए घरेलू उत्पादन मांग को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है. वर्ष 2020-21 के दौरान खाद्य तेलों के अंतरराष्ट्रीय मूल्यों में वृद्धि के परिणामस्वरूप खाद्य तेलों की आयात लागत में वृद्धि हुई है, जिसके कारण उनके मूल्यों में भी वृद्धि हुई है.

कितने का होता है इंपोर्ट

भारत एक कृषि प्रधान देश है, लेकिन तिलहनी फसलों का उत्पादन काफी कम होने की वजह से यहां सालाना करीब 70,000 करोड़ रुपए का खाद्य तेल आयात किया जाता है. इसे कम करने के लिए सरकार ने कोशिश शुरू कर दी है. इसी साल 20 फरवरी को हुई नीति आयोग की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय तिलहन मिशन (National Oil Seed Mission) की बात की थी. जिस पर पांच साल में करीब 19,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.

इसके अलावा खाद्य तेलों का घरेलू प्रोडक्शन बढ़ाकर दूसरे देशों पर इसकी निर्भरता कम करने के लिए 11,040 करोड़ रुपये के खर्च वाले‘नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स-ऑयल पाम’ का भी एलान किया गया है. फिलहाल देश के 3.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में पाम की खेती हो रही है, जिसे बढ़ाकर 10 लाख हेक्टेयर करने का प्लान है. देखना ये है कि ये दोनों मिशन कब तक खाद्य तेलों के मामले में भारत को आत्मनिर्भर कर पाएंगे.