नौकरियों में 75% आरक्षण रद्द होने के बाद विनीत पुनिया ने BJP-JJP पर किया तीखा हमला, कहा- सरकार की नीयत में शुरुआत से ही खोट था

lalita soni

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 कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव डॉ. विनीत पुनिया ने हरियाणा के युवाओं को प्राइवेट सेक्टर में 75 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान को हाईकोर्ट द्वारा खारिज करने को लेकर भाजपा-जजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। पुनिया ने कहा कि सरकार की नीयत में शुरुआत से ही खोट था। इस छल के लिए प्रदेश के युवा भाजपा-जजपा सरकार को माफ नहीं करेंगे।

डॉ. विनीत पुनिया ने कहा कि हाईकोर्ट ने स्थानीय उम्मीदवारों के रोजगार अधिनियम-2020 को असंवैधानिक ठहरा दिया है। इस मामले में भाजपा-जजपा सरकार शुरुआत से की युवाओं को बरगलाने की कोशिश कर रही थी। सरकार ने न तो संविधान सम्मत क़ानून बनाया न ही इस मामले में मजबूती से कोर्ट में लड़ाई लड़ी। गठबंधन सरकार बेरोजगारी पर लगाम लगाने के लिए कोई कारगर नीति नहीं बना पाई। सरकार ने इससे ध्यान भटकाने के लिए निजी नौकरियों में 75 प्रतिशत हरियाणवियों को आरक्षण देने का जुमला उछाला। हाईकोर्ट के फैसले के बाद इस जुमले की पोल पूरी तरह से खुल चुकी है।

विनीत पुनिया ने कहा कि पहले हरियाणा सरकार ने प्रावधान किया था कि 50,000 रुपये मासिक वेतन तक की नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित की जाएंगी, लेकिन बाद में वेतन का हिस्सा घटाकर केवल 30,000 रुपये कर दिया गया। इसका मतलब था कि केवल सबसे निचले स्तर की नौकरियाँ ही स्थानीय युवाओं के लिए आरक्षित कर दी गईं, जो प्रदेश के युवाओं के लिए काफी अपमानजनक था। सरकार के इस जुमले से हरियाणा के युवाओं को दोहरी मार झेलनी पड़ी। इस कानून के लागू होने के बाद, उद्योग घुटन महसूस करने लगे। इससे न केवल नया निवेश भी आना बंद हो गया, बल्कि वर्षों से स्थापित कई उद्योग भी पलायन कर गए। इसके परिणामस्वरूप, स्थानीय युवाओं के लिए नौकरी के अवसर और भी कम हो गए।

पुनिया ने कहा कि बीते लंबे से प्रदेश की बेरोजगारी चरम पर है। प्रदेश का युवा हताश और निराश हो चुका है। हर तीसरा ग्रेजुएट बेरोजगार है। सात लाख से ज्यादा युवा तो हताश और निराश होकर काम की तलाश ही छोड़ चुके हैं। प्रदेश में लगभग 25 लाख पढ़े लिखे बेरोजगार घूम रहे हैं। दो लाख पद सरकारी नौकरियों के खाली पड़े हुए हैं। सरकार जानबूझकर हरियाणा के युवाओं को नौकरी नहीं देना चाहती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन में प्रति व्यक्ति आय और प्रति व्यक्ति निवेश में हरियाणा सबसे आगे था।  अन्य राज्यों से युवा रोजगार के लिए हरियाणा का रुख करते थे। मगर खट्टर सरकार के शासन में पिछले नौ साल से उद्योग धंधे चौपट पड़े हैं। सरकारी नौकरियां भर्तियां भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं। पक्की नौकरियों को धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है। कौशल निगम के नाम पर कच्ची भर्ती कर युवाओं का शोषण किया जा रहा है। प्रदेश में तेजी से बढ़ रही बेरोजगारी की वजह से नशा, अपराध और पलायन बढ़ा है।