प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है. साथ ही पीएम मोदी ने एक साल से प्रदर्शन कर रहे किसानों से भी अपने घर जाने की अपील की है. सरकार के इस फैसले के बाद से लंबे समय से चले आ रहे किसान आंदोलन की जीत माना जा रहा है. एक साल से हो रहे इस प्रदर्शन में पूरे देश के किसानों ने हिस्सा लिया और किसान आंदोलन के कुछ ऐसे चेहरे भी रहे, जिन्होंने किसानों का प्रतिनिधित्व करते हुए सरकार के सामने बात रखी.
मीडिया में अपनी बात रखने से लेकर सरकार के साथ हुई कई स्तर की वार्ता तक कुछ लोगों ने किसानों की बात को सरकार के सामने रखा है. वैसे तो किसान नेता इसे किसी एक का नहीं बल्कि किसानों का आंदोलन बताते आ रहे हैं. ऐसे में जानते हैं कि आखिर वो कौन-कौन से लोग हैं, जो किसान की ओर से इस आंदोलन का चेहरा बने.
राकेश टिकैत
किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. कुछ महीनों से वे आंदोलन में सक्रिय हैं और उन्होंने देश के अन्य हिस्सों में जाकर भी किसानों की आवाज उठाई. इसके अलावा राकेश टिकैत लगातार मीडिया के जरिए भी अपनी बात सरकार के सामने रखते रहे. दरअसल, जब गृहमंत्री ने किसान संगठनों को मिलने बुलाया था तब राकेश टिकैत को भी बैठक में बुलाया गया था. इसलिए वो भी किसान को आवाज बनकर सामने आए थे.
योगेंद्र यादव
योगेंद्र यादव ने भी लंबे समय तक किसानों का प्रतिनिधित्व किया. कई प्रेस कॉन्फ्रेंस का हिस्सा बने और किसानों के साथ प्रदर्शन करते रहे. योगेंद्र यादव ने कई बार किसान संयुक्त मोर्चा की ओर से भी अपनी बात रखी और किसान आंदोलन को मजबूत करते नजर आए. हालांकि, हाल ही में संयुक्त किसान मोर्चा ने अप्रत्याशित रूप से बड़ी कार्रवाई करते हुए योगेंद्र यादव को किसान मोर्चा से एक महीने के लिए निलंबित कर दिया था.
डॉक्टर दर्शन पाल सिंह
क्रांतिकारी किसान यूनियन से जुड़े दर्शनपाल भी किसानों के हक में आवाज उठा रहे हैं. दर्शनपाल मीडिया के सामने काफी एक्टिव रहें और दर्शन पाल मीडिया में पंजाबी, हिंदी, अंग्रेजी तीनों ही भाषाओं में अपनी बात रखते हैं. वैसे तो दर्शन पाल सिंह लंबे समय से किसान संगठनों के साथ काम कर रहे हैं. किसान संगठनों के बीच तालमेल बनाने में डॉक्टर दर्शन पाल ने अहम भूमिका निभाई है.
जगजीत सिंह डल्लेवाल
जगजीत सिंह डल्लेवाल भारतीय किसान यूनियन (एकता-सिद्धूपुर) के अध्यक्ष हैं. जब से किसान आंदोलन चला है, तब से डल्लेवाल लगातार सक्रिय हैं. उन्होंने भी मीडिया से लेकर सरकार से बातचीत तक अहम भूमिका निभाई है.
जोगिंदर सिंह उगराहां
भारतीय सेना से रिटायर होने के बाद, उन्होंने खेती की ओर रुख़ किया और किसान हितों की लड़ाई में सक्रिय हो गए. उन्होंने साल 2002 में भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) का गठन किया और तब से वो लगातार किसानों के मुद्दों पर संघर्ष कर रहे हैं. 75 साल के जोगिंदर पंजाब के सबसे बड़े किसान संगठन ‘भारतीय किसान यूनियन उगराहां’ के अध्यक्ष हैं.
सरवन सिंह पंधेर
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरवन सिंह पंधेर पंजाब के माझा क्षेत्र के एक प्रमुख युवा किसान नेता हैं. वो किसान मज़दूर संघर्ष समिति के महासचिव हैं. इस संगठन का गठन 2000 में सतनाम सिंह पन्नू ने किया था. वो अभी भी संगठन का नेतृत्व करते हैं, लेकिन सरवन सिंह पंधेर वर्तमान आंदोलन में बड़ी भूमिका में नज़र आए हैं.