आढ़ती से उर्वरक कंपनी का लाइसेंस देने के नाम पर 15.48 लाख की ठगी, साइबर अपराधियों ने बनाया शिकार

lalita soni

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सेवानिवृत्त अधिकारी और आढ़ती को साइबर अपराधियों ने शिकार बनाया है। दोस्त बता सेवानिवृत्त अधिकारी से मदद के बहाने 40 हजार ट्रांसफर कराने का भी मामला सामने आया है।

Kurukshetra: Cheating of Rs 15 lakh 48 thousand from agent in the name of giving license to fertilizer company

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में साइबर ठगों ने सेवानिवृत्त अधिकारी और आढ़ती को अपना शिकार बना लिया। ठग ने खुद को हरियाणा बीज परिवर्धन निगम से सेवानिवृत्त अधिकारी का दोस्त बताकर 40 हजार रुपये ट्रांसफर करा लिए। वहीं एक आढ़ती को राष्ट्रीय उर्वरक कंपनी का लाइसेंस देने के नाम पर 15.48 लाख रुपये की ठगी कर ली। थाना साइबर पुलिस टीम मामलों की छानबीन में जुटी है।

थाना साइबर सेल में दर्ज शिकायत में करण कुमार निवासी सेक्टर-13 ने बताया कि उसने इफको सहित दो राष्ट्रीय उर्वरक कंपनी के लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। इन दोनों कंपनी की ओर से उसके पास अलग-अलग नंबर से कॉल आई थी। इसमें कॉल करने वाले ने उसकी कंपनी के लाइसेंस के लिए सवा छह लाख और इफको के लिए पांच लाख रुपये जमा करने की शर्त रखी थी।

उन पर विश्वास कर उसने सवा छह लाख और पांच लाख रुपये के चेक बताए गए अकाउंट में लगा दिए। इस रकम के कटने के बाद भी उसके पास दोबारा कॉल आई, जिसमें उसे अलग-अलग तरह का खर्च बताकर कुल 15 लाख 48 हजार 800 रुपये खाते में जमा करा लिए थे। तीसरी बार कॉल आने पर उसे शक हो गया और उसने कोई रकम खाते में ट्रांसफर नहीं की। शिकायत पर पुलिस ने भादसं की धारा 419, 420 और आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है।
उधर, बीज परिवर्धन निगम उमरी से सेवानिवृत्त अधिकारी रमेश सिंह ने बताया कि उनके पास अनजान नंबर से कॉल आई, जिसमें बातचीत करने वाले ने उन पर उसकी पहचान करने की बात कही। उसके द्वारा अपने एक दोस्त का नाम लेने पर आरोपी ने खुद को दोस्त बताते हुए सहायता मांगी। उसने बताया कि उसके एक साथी के साथ दुर्घटना हो गई है। उसके साथी को पैसे की सख्त जरूरत है, मगर उसके अकाउंट से रुपये ट्रांसफर नहीं हो रहे हैं।
इसलिए वह उसके अकाउंट में 25 हजार रुपये डाल रहा है। कुछ देर बाद उसके मोबाइल पर 25 हजार रुपये जमा कराए जाने का मैसेज आया। उसके बाद उसने दोस्त के बताए अकाउंट में 25 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए। उसने कुल दो बार में 40 हजार रुपये भेजे, मगर बाद में उसे पता चला कि उसके नंबर पर 25 हजार रुपये आने का मैसेज फर्जी है, क्योंकि यह मैसेज आरोपी ने अपने नंबर से ही भेजा था।
बैंक को करना चाहिए सत्यापित
रमेश सिंह का कहना है कि ऑनलाइन ट्रांजेक्शन पर संबंधित बैंक को संज्ञान लेना चाहिए। बैंक को 20 हजार से अधिक का भुगतान होने पर उपभोक्ता से रकम ट्रांसफर करने की अनुमति लेनी चाहिए। इससे काफी हद तक साइबर ठगी पर लगाम लगाया जा सकता है।
पुलिस कर रही मामले की छानबीन
साइबर सेल के प्रभारी राजीव कुमार ने बताया कि जिला पुलिस की ओर से लगातार साइबर अपराध से बचाव के संबंध में जागरूक किया जा रहा है। साइबर ठग इंटरनेट पर भी सक्रिय रहते हैं। वे कंपनी की साइड बनाकर उस पर अपने संपर्क नंबर डालते हैं। जैसे ही कोई साइड से नंबर लेकर कॉल करता है तो आरोपी उसे अपनी बातों में फंसाकर धोखाधड़ी करते हैं। शिकायतकर्ता करण ने भी लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। फिलहाल वे मामले की जांच कर रहे हैं। जल्द ही आरोपियों को कर लिया जाएगा।
साइबर अपराध से बचाव के तरीके
1. ऑनलाइन खरीदारी करते समय वेबसाइट के यूआरएल में एचटीटीपीएस हो, न की खाली एचटीटीपी।
2. किसी भी अपरिचित व्यक्ति के कहने पर कोई एप्लीकेशन डाउनलोड न करें।
3. किसी के भी कहने पर केवाईसी करने के नाम पर एक भी रुपया अपने ही बैंक अकाउंट में ट्रांसफर न करें।
4. किसी भी व्यक्ति के साथ अपने बैंक, एटीएम कार्ड नंबर, कार्ड की एक्सपायरी एवं कार्ड पर पीछे लिखे डिजिट के सीवीवी नंबर और अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें।
5. मोबाइल पर किसी भी लिंक को ओपन न करें और न ही अनजान नंबर से व्हाट्सएप पर आई वीडियो कॉल उठाएं।
6. साइबर ठगी का शिकार होने पर तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर काॅल करें।