किसान अच्छी फसल पैदा करने की पूरी कोशिश करता है.लेकीन यह आपके द्वारा उत्पादित माल की कीमत निर्धारित नहीं कर सकता है.अब कृषि मंडी समितियों में भी व्यापारियों की मनमानी बढ़ती जा रही है. लातूर की कृषि उपज मंडी समिति ने दिखाया है कि अगर किसानों के लाभ के लिए बनी मंडी समिति सही भूमिका निभाए तो किसानों को नुकसान से बचाया जा सकता हैं.
किसानों को नुकसान न हो इसिलए मंडी ने ये पहल शुरू की हैं.जिले के लातूर स्टेशन पर कृषि उपज मंडी समिति ने अभी कपास की खुली नीलामी शुरू की है.इससे किसानों के लिए कपास बेचने का एक अलग विकल्प तैयार हो गया है और उद्घाटन के पहले ही इस बाजार में कपास की कीमत 8,430 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है.
यह बाजार की विशिष्टता को बरकरार रखता है
लातूर स्टेशन कृषि उपज मंडी औरंगाबाद जिले में नंबर दो बाजार के रूप में उल्लेखित है.इस मंडी समिति में जिले भर से कृषि उत्पादों की आवक भी शुरू हो गई है.लेकिन इनोवेशन की बात हो रही है.इससे पहले जब प्याज की कीमतों में कमी आई थी, तब मंडी समिति के परिसर में प्याज की नीलामी की गई थी.खुले बाजार से प्याज के भी अच्छे भाव मिले थे.अब कपास की फसल अपने अंतिम चरण में है. इसलिए किसानों को बेहतर दाम दिलाने के लिए यह पहल शुरू की गई है. दर कृषि उपज की गुणवत्ता के अनुसार निर्धारित की जाती है.इसके अलावा दरें निदेशक मंडल द्वारा तय की जाती हैं न कि व्यापारियों द्वारा.
किसानों के बीच लिया गया फैसला
हालांकि मराठवाड़ा में कपास का रकबा घट रहा है लेकिन उत्पादित कपास को उचित मूल्य मिलना चाहिए. लेकिन यहां की मार्केट कमेटी में व्यापारी मनमाने रेट तय कर किसानों के साथ ठगी करते हैं.
किसानों ने इस संबंध में निदेशक मंडल से भी शिकायत की गई थी. इसलिए यदि बाजार समिति गठित करने का उद्देश्य प्राप्त नहीं होता है तो ऐसे खुले बाजार को शुरू करने का क्या फायदा निदेशक वाल्मीक चव्हाण ने कहा.
किसानों में भी संतोष
कृषि उपज मंडी समिति द्वारा कपास की खुली नीलामी शुरू करने से किसानों के लिए नए विकल्प सृजित हुए हैं.इसलिए व्यापारियों को यहां की तरह ही रेट तय करने होंगे.अगर इसमें प्रतिस्पर्धा होती है तो इसका फायदा किसानों को ज्यादा फायदा होगा, वाल्मीक चव्हाण ने कहा है कि हालांकि शुक्रवार को खुली नीलामी में कपास की आवक में गिरावट आई, लेकिन सोमवार से इसमें इजाफा होगा.













































