भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि वे मौसम को ध्यान में रखते हुए गेंहू की बुवाई के लिए तैयार खेतों में पलेवा तथा उन्नत बीज व खाद की व्यवस्था करें. पलेवा के बाद यदि खेत में ओट आ गई हो तो उसमें गेहूं की बुवाई कर सकते है. गेहूं की उन्नत प्रजातियां- सिंचित परिस्थिति के लिए एचडी 3226, एचडी-18, एचडी-3086 एवं एचडी-2967 हैं. बीज 100 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर के हिसाब से लगेगा.
वैज्ञानिकों ने कहा है कि जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो उसमें क्लोरपाईरिफास (20 ईसी) @ 5 लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से पलेवा के साथ दें. नाईट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश उर्वरकों की मात्रा 120, 50 व 40 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर होनी चाहिए.
सरसों और प्याज की खेती के लिए क्या करें
समय पर बोई गई सरसों की फसल में विरलीकरण तथा खरपतवार नियंत्रण का कार्य करें. वर्तमान मौसम प्याज की बुवाई के लिए अनुकूल है. इसकी बीज दर 10 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर होगी. बुवाई से पहले बीजों को केप्टान @ 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से उपचार अवश्य करें.
वर्तमान मौसम आलू की बुवाई के लिए अनुकूल है. इसलिए किसान आवश्यकतानुसार आलू की किस्मों की बुवाई कर सकते हैं. इसकी उन्नत किस्में- कुफरी बादशाह, कुफरी ज्योति (कम अवधि वाली किस्म), कुफरी अलंकार एवं कुफरी चंद्रमुखी बताई गईं हैं. मिर्च तथा टमाटर के खेतों में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में दबा दें. यदि प्रकोप अधिक है तो इमिडाक्लोप्रिड़ @ 0.3 मिली लीटर प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें.
गाजर की बुवाई के लिए क्या करें किसान
इस मौसम में किसान गाजर की बुवाई मेड़ों पर कर सकते हैं. बुवाई से पहले मिट्टी में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें. उन्नत किस्में- पूसा रूधिरा है. बीज दर 4.0 किलोग्राम प्रति एकड़ होगी. बुवाई से पहले बीज को केप्टान @ 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. खेत में देसी खाद, पोटाश और फास्फोरस उर्वरक अवश्य डालें. गाजर की बुवाई मशीन द्वारा करने से बीज सिर्फ एक किलो प्रति एकड़ की दर से आवश्यकता होती है. इससे बीज की बचत तो होती ही है, साथ में उत्पाद की गुणवत्ता भी अच्छी रहती है.
सब्जियों की खेती करने वाले ध्यान दें
इस मौसम में सरसों साग, मूली, पालक, शलगम, बथुआ, मेथी, गांठ गोभी एवं धनिया की बुवाई मेड़ों (उथली क्यारियों) पर करें. बुवाई से पहले मिट्टी में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें. यह समय ब्रोकली, पछेती फूलगोभी, बंदगोभी तथा टमाटर की पौधशाला तैयार करने के लिए उपयुक्त है. पौधशाला भूमि से उठी हुई क्यारियों पर ही बनाएं. जिन किसान भाईयों की पौधशाला तैयार है, वह मौसस को ध्यान में रखते हुये पौध की रोपाई ऊंची मेड़ों पर करें.