कृषि -हरियाणा में धान की ज्यादा खेती से सूखने लगे हैं खेत, किसानों के सामने बड़ा संकट

parmodkumar

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हरियाणा, जो कृषि प्रधान राज्य के रूप में जाना जाता है, आज एक गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है. इस संकट की जड़ धान की अधिक खेती है. दरअसल धान की खेती में पानी की खपत सबसे ज्यादा होती है  रोपाई के साथ ही धान के पौधों की वृद्धि रुकने और पत्ते पीले पड़ने की घटना से किसानों के होश उड़ गए हैं। पौध पर दवाई स्प्रे करने का भी  प्रभाव नहीं पड़ रहा है। हालांकि कृषि विज्ञानी इसे सामान्य मान रहे हैं। किसानों को किसी तरह की दवाई स्प्रे करने से पहले डाक्टरी सलाह लेने कह रहे हैं। वहीं किसान रोपे गए पौध को बाहर निकाल कर दोबारा दूसरे पौध लगा रहे हैं। इससे उनका आर्थिक नुकसान हो रहा है।

राक्सेड़ा के निवर्तमान सरपंच जयप्रकाश शर्मा कहते हैं कि 1682 सहित 1509, 1718 और 1121 किस्म के पौधों में बड़े पौधों के सूखने, वृद्धि रुकने और पत्ते पीले पड़ने की शिकायतें आ रही है। कोई बीज खराब होने तो कोई बीमारी आने की बात कह रहा है। शुरूआती दौर में ही किसानों के सामने समस्या खड़ी हो गई है। उन्होंने कहा कि 1682 के पौध में सबसे अधिक दिक्कत है। पौधों के नहीं बढ़ने की दिक्कत है। पत्ते पीले पड़ जाते हैं। उन्होंने बताया कि मजबूरी में 1682 किस्म के पौधों को उजाड़ कर दूसरी किस्म के पौधे लगाने पड़े हैं।

बीमारी की डर से फिर से लगाए पौधे

एक किले की लागत बेकार चली गई है। यही दिक्कत राक्सेड़ा के सुभाष और मामू ने भी बताई है। रोपाई के साथ पौध में बीमारी आने के डर से दोबारा अपने चार-चार किले में दूसरी किस्म के पौधे लगाए हैं। किसानों का कहना है कि गांव के अधिकांश काश्तकारों के साथ यह समस्या है। किसानों को बीमारी के कारणों का पता नहीं चल रहा है। वहीं कृषि उपनिदेशक से संपर्क किया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका।

कुछ किसानों की शिकायतें मिली

कृषि विज्ञान केंद्र उझा के विज्ञानी राजबीर सिंह बताते हैं कि कुछ किसानों की शिकायतें मिली है। किसानों को बगैर डाक्टरी सलाह के दवा का फसल में स्प्रे नहीं करना चाहिए। कृषि विज्ञान केंद्र आकर अपनी परेशानी बताना चाहिए।