आज का इतिहास:कहानी उस प्रधानमंत्री की, जो कवि और पत्रकार भी रहे थे; जिन्होंने भारत को न्यूक्लियर स्टेट बनाया

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अटलजी की 96वीं जयंती संसद में पर एक किताब लॉन्च की

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज 96वीं जयंती है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदैव अटल स्मारक पहुंचकर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत कई नेता मौजूद थे। इससे पहले PM मोदी ने सोशल मीडिया पर पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित की। वहीं, संसद में PM मोदी ने अटलजी पर आधारित एक किताब भी लॉन्च की।

पहला चुनाव लड़ा तो हार गए। दूसरी बार तीन जगह से चुनाव लड़े तो एक जगह से जीत मिली। एक वक्त ऐसा तक आया, जब उनकी पार्टी के दो सांसद थे, जिनमें से एक वो खुद थे। एक वक्त ऐसा भी आया, जब वो देश के प्रधानमंत्री बने और 20 से ज्यादा दलों के समर्थन के साथ। हम बात कर रहे हैं अटल बिहारी वाजपेयी की। आज ही के दिन 1924 में उनका जन्म हुआ था। दुनिया उनकी भाषण शैली की कायल थी। लेकिन, वही अटलजी जब स्कूल के फंक्शन में पहली बार अपना भाषण पढ़ने खड़े हुए थे तो आधे भाषण के बाद उन्होंने बोलना बंद कर दिया था, क्योंकि वो अपना भाषण भूल गए थे।

पहले गैर कोंग्रेसी प्रधानमंत्री जिन्होंने अपना 5 साल का कार्येकाल पूरा किया

अटलजी तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे। पहली बार 13 दिन और दूसरी बार 13 महीने के लिए। 13 अक्टूबर 1999 को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और देश के पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया।

अटलजी ने अपने जीवन में कई मशहूर कविताएं लिखीं। जिनमें से एक ये भी है- हार नहीं मानूंगा, रार नई ठानूंगा, काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं, गीत नया गाता हूं।

बात मई 1998 की है। अटलजी को प्रधानमंत्री बने महज 3 महीने हुए थे। 11 मई की दुनियाभर में ये खबर चली की भारत ने न्यूक्लियर टेस्ट किया है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए तक को इसकी भनक नहीं लगी। 13 मई को एक बार फिर भारत ने सफल टेस्ट किया। इसी के साथ भारत दुनिया के परमाणु शक्ति संपन्न देशों की लिस्ट में शामिल हो गया।

वो अटलजी ही थे, जिनकी सरकार के फैसले की वजह से कभी 17 रुपए मिनट कॉलिंग वाले मोबाइल पर बात फ्री कॉलिंग तक पहुंची। उनकी सरकार ने टेलीकॉम फर्म्स के लिए फिक्स्ड लाइसेंस फीस को खत्म कर दिया और उसकी जगह रेवेन्यू शेयरिंग की व्यवस्था शुरू की। अटल सरकार में ही 15 सितंबर 2000 को भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) का गठन किया। इसके अलावा टेलीकॉम सेक्टर में होने वाले विवादों को सुलझाने के लिए 29 मई 2000 को टेलीकॉम डिस्प्यूट सेटलमेंट अपीलेट ट्रिब्यूनल (TDSAT) को भी गठन किया।

कार्यकर्ताओं को गलत बोलने से रोक देते थे

भाजपा के वरिष्ठ नेता अजीत बरैया बताते हैं कि अटलजी कार्यकर्ताओं को भी कभी गलत नहीं बोलने देते थे। राममंदिर आंदोलन का किस्सा सुनाते हुए बरैया बताते हैं कि जब हम अयोध्या के लिए कूच कर रहे थे। स्टेशन पर अटलजी के आने की सूचना मिली। सभी प्लेटफॉर्म पर पहुंच गए। जोश-जोश में मैंने नारा लगाया-लाठी गोली खाएंगे, खून की होली खेलेंगे, यह सुनकर भीड़ को चीरते हुए अटलजी मेरे पास आए और मेरे मुंह पर हाथ रख दिया और कान में कहा- ये नारा कभी मत लगाना।