किसानों के लिए अलर्ट, खरीफ फसलों को बेचने के लिए 30 अगस्त तक रजिस्ट्रेशन करवा लें।

Parmod Kumar

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हरियाणा सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीफ फसलों की खरीद की तैयारी अभी से शुरू कर दी है. सबसे पहले मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर किसानों का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है. इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के बिना किसी भी किसान की कोई फसल सरकार नहीं खरीदेगी. इस पोर्टल पर पंजीकरण करवाने की अंतिम तारीख 30 अगस्त तय की गई है. ऐसे में अगर आपको एमएसपी पर उपज बेचना है तो इस पर अपनी फसलों का ब्यौरा जरूर भर दें.

हरियाणा सरकार के सूत्रों के मुताबिक अब तक इस पर 4,75,830 किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवा लिया है. इस पोर्टल पर जुड़कर अपनी फसल संबंधित जानकारी अपलोड करने के बाद किसानों को कई तरह के लाभ लेने में आसानी होती है. यह एक साथ कई समस्याओं का समाधान करता है. आपको फसल बेचने से लेकर लोन और सब्सिडी लेने तक में यह मदद करता है. फिलहाल, लोग इस पर धान और मक्का जैसी प्रमुख खरीफ फसलों की बुवाई की अपनी डिटेल भर रहे हैं.

खाता सत्यापन भी शुरू

आप जब इस पोर्टल पर बताएंगे कि कितने क्षेत्र में कौन सी फसल की बुवाई की है तब उसका सत्यापन भी होगा. खाता सत्यापन प्रक्रिया शुरू की गई है. इसके डाटा का सत्यापन ई-गिरदावरी और अन्य माध्यमों से होगा. गिरदावरी में सब्जियों (Vegetables) सहित सभी फसलों एवं किस्मों को कवर किया जाएगा. दरअसल, सरकार चाहती है कि वही किसान मंडी में फसल बेचे जिसने वाकई अपने खेत में बुवाई की है. इसलिए वेरिफिकेशन की प्रक्रिया अपनाई गई है.

पोर्टल पर कैसे होगा रजिस्ट्रेशन

-सबसे पहले मेरी फसल मेरा ब्यौरा (https://fasal.haryana.gov.in/) पोर्टल पर जाएं.
-पंजीकरण के लिए आधार कार्ड और मोबाइल नंबर जरूरी है.
-फसल से संबंधित जानकारी इस रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एसएमएस से मिलेगी.
-जमीन की जानकारी के लिए रेवेन्यू रिकॉर्ड के नकल की कॉपी, खसरा नंबर देख कर भरना होगा.
-फसल के नाम, किस्म और बुआई का समय बताना होगा.
-बैंक पासबुक की कॉपी भी लगानी होगी, ताकि स्कीम का लाभ सीधे अकाउंट में भेजा जा सके.

मनोहरलाल ने की थी शुरुआत

इस पोर्टल की शुरुआत 5 जुलाई 2019 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने की थी. इस पोर्टल पर किसान अपना फसल संबंधी डिटेल अपलोड कर खेती-किसानी से जुड़ी राज्य की सभी सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकते हैं. यह जमीन के रिकॉर्ड के साथ एकीकृत है. इसमें किसान अपनी निजी जमीन पर बोई गई फसल का ब्यौरा देता है. इसी आधार पर उसकी फसल उपज की खरीद तय होती है. इसके जरिए यह भी पता चल जाता है कि किसान को अपनी फसल बेचने के लिए मंडी में कब जाना है.