वीरवार को आरडी सिटी निवासियों ने नगर निगम और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए नगर निगम कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। करोड़ों रुपए का आशियाना लेने के बाद भी इन लोगों को न तो पीने का पानी मिल रहा है और न ही कोई और मूलभूत सुविधाएं मिल रही हैं। यह समस्या कोई दो-चार दिन से नहीं बल्कि करीब दो साल से बनी हुई है। लोगों का कहना है कि करीब दो साल पहले नगर निगम ने उनकी इस बिल्डर कॉलोनी को टेकओवर किया था जिसके बाद से उन्हें समस्याओं का तोहफा मिलने लगा है। पीने के पानी की समस्या को लेकर वह लगातार नगर निगम अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अधिकारी उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रहे।
आरडब्ल्यूए के प्रधान प्रवीण यादव, चेताली मंडोत्रा सहित अन्य की मानें तो नगर निगम अधिकारी अपनी मनमानी कर रहे हैं। लोगों ने अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि पीने के पानी की समस्या का समाधान कराने के नाम पर अधिकारी रोजाना ही टेंडर होने का आश्वासन लोगों को देकर बहका रहे हैं। लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि निगम अधिकारी केवल उसी ठेकेदार को वर्क अलॉट करते हैं जो उन्हें कमीशन देते हैं। उन्होंने कहा कि आज निगम अधिकारियों की मनमानी के कारण लोगों को पीने के लिए पानी भी उंचे दामों पर खरीदना पड़ रहा है। सीवर की सफाई भी अपने निजी खर्च से करानी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि जब तक यह कॉलोनी बिल्डर के अधीन थी तब तक लोगों को कोई समस्या का सामना नहीं करना पड़ा था, लेकिन नगर निगम ने कॉलोनी को टेकओवर करते ही लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया है।
लोगों ने कहा कि वह नगर निगम अधिकारियों की मनमानी से परेशान हो चुके हैं। अधिकारियों ने उनकी पॉश सोसाइटी को स्लम बना दिया है। करोड़ों रुपए के फ्लैट में पीने के लिए पानी भी खरीदना पड़ रहा है। निगम अधिकारी धरातल पर कार्य करने की बजाय केवल फाइलों में ही सब कुछ सही होने का दावा कर रहे हैं। सुनवाई न होने से परेशान होकर आज लोगों ने निगम कार्यालय का घेराव करते हुए जमकर प्रदर्शन किया।
लोगों ने साफ कर दिया है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान जल्द ही न किया तो वह बड़ा आंदोलन करने को विवश हो जाएंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी नगर निगम की होगी। अब देखना यह होगा कि नगर निगम अधिकारियों की कुंभकरणी नींद कब तक खुल पाती है।