आंदोलन के चलते आम लोगों को हो रही परेशानियों के लिए माफी मांगते हुए, मोर्चा ने 17 अप्रैल तक सद्भावना मिशन का एलान किया है।

Parmod Kumar

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कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन को तेज करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा हर मुमकिन कोशिश कर रहा है। आंदोलन के चलते साढ़े चार माह से बॉर्डर बंद होने के कारण आम लोगों को होने वाली परेशानियों के लिए माफी मांगते हुए मोर्चा ने 17 अप्रैल तक सद्भावना मिशन का एलान किया है। इसके तहत आंदोलन स्थल पर मंगलवार से निश्शुल्क मेडिकल कैंप लगाए हैं। इस कैंप में विभिन्न स्थानों से आए विशेषज्ञ चिकित्सक मरीजों का इलाज कर रहे हैं और जरूरतमंद को मुफ्त ऑपरेशन की भी सुविधा देने की बात की जा रही है। इसको लेकर मोर्चा की ओर से एक पर्चा भी वितरित किया गया है और इसे इंटरनेट मीडिया के माध्यम से भी प्रसारित किया जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में कुंडली बॉर्डर पर 26 नवंबर से आंदोलन चल रहा है। 11 दौर की बातचीत में सरकार के संशोधन के प्रस्ताव को नहीं मानने और कानूनों को रद्द करवाने की जिद के कारण आंदोलन लंबा खींचता जा रहा है। आंदोलन का समाधान नहीं होता देख धीरे-धीरे आंदोलन स्थल पर भीड़ कम होती गई। स्थिति यह है कि फिलहाल टेंट तो लगे हैं, लेकिन इनमें बहुत ही कम आंदोलनकारी बचे हैं। लगातार आंदोलनकारियों की घटती संख्या को देखते हुए और आसपास के लोगों को आंदोलन से जोड़ने के लिए अब संयुक्त मोर्चा की ओर से कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी के तहत मोर्चा की ओर से एक पर्चा जारी कर सबसे पहले आंदोलन के कारण क्षेत्र के लोगों को हुई असुविधा के लिए क्षमा मांगी है। इसके साथ ही आंदोलनकारियों द्वारा आसपास के ग्रामीणों के साथ भी दु‌र्व्यवहार की घटना सामने आने पर भी मोर्चा ने माफी मांगते हुए भविष्य में ऐसी घटना नहीं होने दी जाएगी, इसका वचन दिया है। साथ ही किसी भी प्रकार की शिकायत या सुझाव के लिए कमेटी भी गठित कर स्थानीय नुमाइंदों के मोबाइल नंबर भी जारी किए हैं। इसके अलावा लोगों को धरनास्थल पर आकर्षित करने के लिए 17 अप्रैल तक सद्भावना मिशन के तहत मोर्चा के कार्यालय कजारिया टाइल्स में सद्भावना मेडिकल कैंप लगाया गया है। इसमें ओपीडी के अलावा पैथोलाजिकल टेस्ट, आंखों की जांच, चश्में, दवाइयां भी वितरित की जा रही हैं। पहले दिन करीब 200 मरीजों का इलाज यहां हुआ। सद्भावना मिशन के बाद मोर्चा की ओर से स्थानीय लोगों के लिए 18 अप्रैल को सहयोग दिवस मनाने का ऐलान भी किया है। इस दिन मंच संचालन की कमान स्थानीय लोगों के हाथों में देने की बात की जा रही है, ताकि उन्हें भी इस आंदोलन से जोड़ा जा सके।