मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्पष्ट किया कि कई बार ग्रामीण स्तर पर आपसी विवाद के चलते एक व्यक्ति की गली बना दी जाती है, दूसरे की नहीं बनाई जाती। ऐसे में अब गांव के व्यक्तियों की मांग पर अगर विधायक या सरकार कार्य कहती है और पंचायत के पास फंड उपलब्ध है तो उस काम को पंचायत को करवाना होगा।

हरियाणा के गांवों में पंचायतों को दिए गए 28 तरह के अधिसूचित कार्यां में से गांववासी किसी नागरिक, विधायक या सरकार द्वारा कहे जाने वाले कार्यां को पंचायतें पूरा करवाएंगी। बशर्ते इसके लिए पंचायतों के पास आवश्यक फंड हो। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया। इसके लिए किए संशोधन अनुसार हरियाणा पंचायती राज नियम 1995 को हरियाणा पंचायती राज (संशोधन) नियम 2023 के रूप में जाना जाएगा।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्पष्ट किया कि कई बार ग्रामीण स्तर पर आपसी विवाद के चलते एक व्यक्ति की गली बना दी जाती है, दूसरे की नहीं बनाई जाती। ऐसे में अब गांव के व्यक्तियों की मांग पर अगर विधायक या सरकार कार्य कहती है और पंचायत के पास फंड उपलब्ध है तो उस काम को पंचायत को करवाना होगा। इस नए नियम के अनुसार ग्राम पंचायत, पंचायत समिति या जिला परिषद हरियाणा पंचायती राज अधिनियम के तहत सौंपे कार्यों और दायित्वों के लिए अपने फंड का उपयोग करने के लिए अधिकृत होंगी।
ये किया है बदलाव
मौजूदा हरियाणा पंचायती राज नियम, 1995 में धारा 28ए–धारा 21, 75, 100, 137, 146 और 209 के तहत ग्राम निधि, समिति निधि और जिला परिषद निधि का लागू होना जोड़ी गई है। नए नियम के अनुसार ग्राम पंचायत, पंचायत समिति या जिला परिषद हरियाणा पंचायती राज अधिनियम के तहत सौंपे कार्यां के लिए फंड के प्रयोग के लिए अधिकृत होंगी। इसके लिए जरूरी है कि राज्य सरकार ग्राम पंचायत, पंचायत समिति या जिला परिषद को प्रदान की गई ग्रांट-इन-एड का उपयोग सरकार द्वारा सौंपे उद्देश्यों के लिए किया जाए।
सिविल जजों की भर्ती पर नहीं हो पाया फैसला
कैबिनेट की बैठक में सिविल जजों की भर्ती के मामले में फैसला नहीं हो पाया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि इस मामले में मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और कैबिनेट की बैठक में भी यह मुद्दा आया। इस मामले में अभी निर्णय नहीं हो पाया। विदित रहे कि अभी तक हाईकोर्ट व राज्य सरकार की संयुक्त चयन समिति भर्ती का संचालन करती है। सरकार यह अधिकार हरियाणा लोक सेवा आयोग को देना चाहती है। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट के 2009 में दिए निर्णय को लेकर पुनविर्चार याचिका दायर की है।
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने यह भी जानकारी दी कि गुरुग्राम के कासन गांव की जमीन संबंधी मामले में तकनीकी खामी के चलते इसे लंबित रखा गया है। इस गांव की जमीन संबंधी मामले में नई नीति बनाई है।

















































