जड़ से खत्‍म हो जाएगा गठिया, डॉक्‍टर ने कहा- बदल लें बस ये 4 आदतें

lalita soni

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‘वर्ल्ड अर्थराइटिस डे’ हर साल 12 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस बीमारी का कोई परमानेंट इलाज नहीं है, बल्‍कि इसे आप अच्‍छी लाइफस्टाइल और नियमित एक्‍सरसाइज से ठीक कर सकते हैं या बढ़ने से रोक सकते हैं।

आर्थराइटिस: रोग को नियंत्रित करने के लिए क्या करें?
आर्थराइटिस (गठिया) जैसा खतरनाक रोग पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ा है। इसमें जोड़ों में दर्द, सूजन, चलने-फिरने में तकलीफ और खासतौर से सवेरे उठने पर जोड़ों में जकड़न जैसे लक्षण प्रमुख होते हैं। आर्थराइटिस के सही कारणों का पता लगाना जरूरी है क्‍योंकि 50 से भी अधिक प्रकार के आर्थराइटिस रोग होते हैं। बेशक, यह सच है कि आर्थराइटिस एक लाइलाज मर्ज है लेकिन हम अपने लाइफस्‍टाइल में कुछ ऐसे बदलाव ला सकते हैं जिनसे इसे अधिक गंभीर होने से रोका जा सकता है।
दरअसल, जोड़ों की सेहत के लिए दवाओं जितना ही महत्‍वपूर्ण होता है जीवनशैली में बदलाव लाना ताकि रोग ज्‍यादा गंभीर रूप नहीं ले और आर्थराइटिस से जुड़े कार्डियोवास्‍क्‍युलर जोखिम भी घट सकें। गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्‍टीट्यूट, रुमेटोलॉजी, के सीनियर कंसल्‍टैंट डॉ नवल मेंदिरत्‍ता बता रहे हैं कि अगर गठिया को काबू करना है तो क्‍या-क्‍या करना जरूरी है।
1. अधिक बैठने स दूर रहें, हर दिन करें व्‍यायाम

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कार्पोरेट कल्‍चर के साथ ही, युवाओं के कामकाज के घंटे काफी बढ़ चुके हैं जिसके चलते उन्‍हें लंबे समय तक स्‍क्रीन के सामने रहना पड़ता है। ऐसे में सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस और जोड़ों में जकड़न की समस्‍या समय से पहले ही सिर उठा लेती है। चूंकि कामकाज से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता और उसे करना भी जरूरी होता है, इसलिए अपने दैनिक रूटीन में 30 से 40 मिनट की ऐरोबिक एक्‍सरसाइज़ को शामिल करें। इसके लिए चाहे आप साइक्लिंग करें, तैराकी या फिर ब्रिस्‍क वॉक, लेकिन हर दिन नियम से इन्‍हें जरूर करें। एक्‍सरसाइज़ से न सिर्फ खून का दौरा बढ़ता है, बल्कि यह हमारे जोड़ों के लिए भी अच्‍छा है और साथ ही, मांसपेशियों की ताकत भी बढ़ती है। हमारे कई मरीज़ों को, जो कि एंकीलोज़‍िंग स्‍पॉन्‍डलाइटिस से पीड़‍ित हैं, हमेशा जकड़न महसूस करते हैं, व्‍यायाम और योग से राहत मिलती है।

2. धूम्रपान से बचे

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धूम्रपान (स्‍मोकिंग) एक ऐसा कारण है जो आर्थराइटिस की रफ्तार को 5 गुना बढ़ा देता है। मेडिकल स्‍तर पर भी यह साबित हो चुका है कि स्‍मोकिंग से आर्थराइटिस और गंभीर होता है, और यह शरीर के खिलाफ काम करने वाली एंटीबॉडीज बनाता है तथा इसकी वजह से हृदय संबंधी विकार भी बढ़ते हैं। आर्थराइटिस मरीजों को स्‍मोकिंग बंद करने और अधिक सेहतमंद लाइफस्‍टाइल अपनाने की सलाह दी जाती है।

3. डाइट में ना खाएं चीनी और फल-सब्‍जियों को बनाएं साथी

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ज्‍यादातर मरीज हमसे यह जानना चाहते हैं कि वे कैसी डाइट चुनें कि उनका आर्थराइटिस का रोग गंभीर न हो? पिछले कई वर्षों के अपने अनुभव के आधार पर हम यह समझ चुके हैं कि आर्थराइटिस में डाइट की भूमिका काफी अहम् होती है। हालांकि, डाइट से इस रोग को पूरी तरह से नियंत्रित नहीं किया जा सकता, लेकिन इसे काफी हद तक गंभीर होने से रोका जा सकता है। एंटीऑक्‍सीडेंट फूड्स से भरपूर डाइट को प्रतिदिन अपनी जिंदगी में शामिल करें, इसमें फलों और सब्जियों की मात्रा अधिक होनी चाहिए। कुछ फल, जैसे कि अनार जिसमें एंटी ऑक्‍सीडेंट तत्‍व सबसे ज्‍यादा होते हैं, हमारे नियमित खानपान का हिस्‍सा होने चाहिए। इसी तरह, हल्‍दी, दालचीनी और मेथी दाना भी आर्थराइटिस को गंभीर रूप लेने से रोकते हैं और साथ ही, दर्द से भी राहत दिलाते हैं। आर्थराइटिस मरीज़ों के मामले में डेयरी प्रोडक्‍ट्स और ग्‍लूटन को लेकर अभी काफी बहस जारी है। हम अक्‍सर मरीज़ों पर यह फैसला छोड़ देते हैं कि वे इन्‍हें खाना चाहते हैं या इनसे बचना चाहते हैं।
लेकिन इतना तो तय है कि रेड मीट, सी फूड, सॉफ्ट ड्रिंक्‍स, प्रीज़र्व्‍ड फूड्स और प्रोसैस्‍ड फूड्स के सेवन से बचना चाहिए। इसी तरह, चीनी का सेवन भी कम से कम रखना चाहिए ताकि आर्थराइटिस और न भड़के। इस प्रकार के खाद्य पदार्थ आर्थराइटिस को गंभीर बनाते हैं, इसलिए इनका सेवन कम से कम ही होना चाहिए।

4. मोटापा ना बढ़ने दें

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भारत धीरे-धीरे दुनिया में मोटापे की राजधानी बनता जा रहा है, और यही वजह है कि डायबिटीज के मामले भी बढ़ रहे हैं। अगर आपका बीएमआई 24 या अधिक है तो यह इस बात का इशारा है कि आपके शरीर में ब्राउन फैट ज्‍यादा है जो साइटोकाइन्‍स बनाता है, जिसके परिणामस्‍वरूप लगातार शरीर में लो ग्रेड इंफ्लेमेशन रहता है जिसके कारण आर्थराइटिस बढ़ता है। अध्‍ययनों से यह स्‍पष्‍ट हुआ है कि, जो मरीज़ ओवरवेट होते हैं उन्‍हें आर्थराइटिस को निय‍ंत्रित करने के लिए अधिक दवाओं की जरूरत होती है। मोटापा ग्रस्‍त मरीज़ में 20 तक सीआरपी लेवल को नॉर्मल माना जाता है। इसकी वजह से पिछले कुछ वर्षों में अर्ली नी रिप्‍लेसमेंट (50 से 55 वर्ष) के मामलों में भी बढ़ोतरी देखी गई है।

तो दोस्‍तो, ऐसी बहुत सी बातें हैं जो हमारे अपने नियं‍त्रण में होती हैं और कुछ ऐसी भी हैं जिन पर हमारा कुछ बस नहीं चलता। इसलिए, जो भी आप नियमित रूप से अपनी सेहत में सुधार के लिए कर सकते हैं, उसे जरूर करें ताकि आर्थराइटिस गंभीर रूप न ले सके। हम इस बीमारी के दुष्‍चक्र को तोड़कर किसी भी अन्‍य सामान्‍य व्‍यक्ति की तरह जीवन गुजार सकते हैं।