बेटे-बहुओं का अत्याचार: बुजुर्ग दंपती ने लिखा- बासी आटे की रोटी देते हैं, मीठा जहर कितने दिन खाते, दे दी जान

Parmod Kumar

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दादा-दादी का पोता आईएएस अधिकारी हो और बेटों के पास करोड़ों की संपत्ति हो भला कौन ऐसा सोच सकता है कि उन्हें दो रोटियों के लिए धक्के खाने पड़े। लेकिन हरियाणा के चरखी दादरी जिले में करोड़पति बेटा-बहू ने ऐसा ही किया कि जहां बुजुर्ग माता-पिता को दो रोटी नहीं दे

भागल देवीसके तो दंपती ने जहरीला पदार्थ निगलकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। बुजुर्ग दंपती का पोता आईएएस अधिकारी है और बेटों के करोड़ों की संपत्ति है।                                                                     सेना में 20 सालसेवाएं देने के बाद भी घर में नही मिली सुख की रोटी

77 वर्षीय पत्नी के साथ जहरीला पदार्थ निगल आत्महत्या करने वाले जगदीशचंद ने 20 साल तक सेना में सेवाएं दी हैं। सुसाइड नोट में जगदीशचंद ने लिखा कि मैं अपने छोटे बेटे महेंद्र के पास रहता था। छह साल पहले उसकी मृत्यु हो गई। मुझे कुछ दिन तक महेंद्र की पत्नी नीलम ने रोटी दी लेकिन बाद में उसने अनैतिक कार्य शुरू कर दिया और गांव निवासी विकास को अपने साथ ले लिया। विकास को साथ रखने का विरोध

किया तो पीटकर मुझे घर से बाहर निकाल दिया। इसके बाद मैं दो साल तक अनाथ आश्रम में रहा। जब लौटा तो उसे फिर से बाहर निकालकर मकान को ताला लगा दिया। उसी दौरान मेरी पत्नी भागली देवी लकवाग्रस्त हो गईं।

बासी आटे की रोटी से मीठा लगा जहर
जिसके बाद बुजुर्ग दूसरे बेटे विरेंद्र के पास रहने लगे। उन्होंने भी रखने से मना कर दिया। वे मुझे बासी आटे की रोटी देते। यह मीठा जहर कितने दिन खाता, इसलिए सल्फास निगल ली। उन्होंने लिखा है कि हमारे साथ बेटे और बहुओं ने जो कि

भागल देवी और जगदीशचंद

या, उसके लिए सरकार और समाज को उन्हें दंड देना चाहिए। यह दर्द एक बुजुर्ग दंपती ने मरने से पहले पुलिस को सौंपे एक सुसाइड नोट में बयां किया है।

दो एफडी और दुकानें आर्य समाज बाढड़ा के नाम करने की बात भी लिखी
सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा कि मेरे बेटों के पास बाढड़ा में 30 करोड़ की संपत्ति है लेकिन मुझे देने के लिए दो रोटी नहीं हैं। हमारे साथ बेटे और बहुओं ने जो किया उसके लिए सरकार और समाज को उन्हें दंड देना चाहिए। तब जाकर उसकी आत्मा को शांति मिलेगी। बुजुर्ग ने अपनी दो एफडी और दुकानें भी आर्य समाज बाढड़ा के नाम करने की बात सुसाइड नोट में लिखी है।

करनाल में बतौर ट्रेनी आईएएस काम कर रहा पोता
मूलरूप से गांव गोपी निवासी रिटायर्ड सेनाकर्मी जगदीशचंद (78) और भागली देवी (77) अपने बेटे विरेंद्र के पास बाढड़ा में रहते थे। विरेंद्र आर्य के बेटे विवेक आर्य 2021 में आईएएस अधिकारी बने। इस समय वो करनाल में बतौर ट्रेनी आईएएस काम कर रहे हैं। बुधवार की रात जगदीशचंद और उनकी पत्नी भागली देवी ने बाढड़ा स्थित अपने आवास पर जहरीला पदार्थ निगल लिया। देर रात करीब ढाई बजे जगदीशचंद ने जहर निगलने की जानकारी पुलिस कंट्रोल रूम में दी। पुलिस पहुंची तो जगदीशचंद ने पुलिस को सुसाइड नोट सौंपा। हालत बिगड़ने पर दोनों को अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।