17 साल से सत्ता से दूर इनेलो की उम्मीदों को लगा झटका

Parmod Kumar

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हरियाणा में 17 साल से सत्ता से दूर इनेलो के लिए पार्टी सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला को चार साल की सजा होना बड़ा झटका है। आय से अधिक संपत्ति मामले में दिल्ली की अदालत का फैसला उस समय आया है, जब प्रदेश में निकाय चुनाव सिर पर हैं और अगस्त-सितंबर में पंचायत चुनाव होने हैं। ऐसे वक्त में फैसले से पार्टी नेताओं, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में मायूसी है। 2000 के विधानसभा चुनाव में इनेलो ने 90 सीटों में 47 पर जीत दर्ज की थी। यह चुनाव इनेलो ने भाजपा के साथ गठबंधन में लड़ा था। इसमें भाजपा छह सीट जीत पाई थी। 2001 में ताऊ देवीलाल के स्वर्ग सिधारने का पार्टी को नुकसान हुआ। 2004 में इनेलो ने भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ लिया। 2005 के चुनाव में पार्टी मात्र 9 सीटें ही जीत पाई। 2005 के चुनाव के बाद इनेलो-भाजपा का फिर गठबंधन हुआ, जो लोकसभा चुनाव तक रहा। 2009 के विधानसभा चुनाव में इनेलो 31 सीटें जीतने में कामयाब रही। 2013 में जेबीटी भर्ती मामले में ओपी चौटाला व बड़े बेटे अजय चौटाला को दस-दस साल की सजा होने पार्टी को गहरा धक्का लगा। 2014 के चुनाव में पार्टी 19 सीटें ही जीत पाई। 2019 के चुनाव से पहले इनेलो को घर में ही बड़ा झटका लगा और पार्टी दोफाड़ हो गई। अजय चौटाला और पोते दुष्यंत चौटाला ने अपनी अलग पार्टी जेजेपी बना ली। इससे इनेलो को बड़ा नुकसान हुआ और संगठनात्मक स्तर पर पार्टी भीतर से टूट गई। 2019 के चुनाव में पार्टी अभय चौटाला के रूप में केवल ऐलनाबाद सीट ही जीत पाई। ओपी चौटाला को भले सजा के ताजा मामले में हाइकोर्ट से जमानत मिल जाए, लेकिन इनेलो के लिए प्रदेश में अपनी साख बचाए रखना आसान नहीं होगा। अभय चौटाला के सामने अब फिर से पार्टी के पुराने दिन लौटाने की नई चुनौती है। उन्हें पार्टी को टूट से बचाते हुए संगठन को मजबूत कर बड़े चौटाला के रुतबे का पूरा फायदा उठाना होगा। बीते वर्ष सजा पूरी कर जेल से बाहर आए ओपी लगातार कार्यकर्ताओं व समर्थकों के संपर्क में रहे। प्रदेश में आप की मजबूत दस्तक के बाद 2024 के चुनाव में नए समीकरण बनेंगे। ऐसे में इनेलो को अब फूंक-फूंक कर कदम रखने होंगे।