बाबा की ‘मिनी कंट्री’ बनकर रह गया ‘गांव’

parmod kumar

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Gurmeet Ram Rahim Singh

24 बरस में बाबा ने अध्यात्म, कारोबार एवं सियासत के मिश्रण से खड़ा किया था अपना साम्राज्य, एक साल में हो गई बाबा की दुनिया तबाह
बाबा को जेल गए हुए एक बरस और एक पखवाड़े का वक्त हो गया है। हर कोई एक बरस बाद उसके डेरे की ग्राऊंड रिपोर्ट जानने को बेकरार है। बाबा जब जेल से बाहर थे तो डेरा उनका अपना एक अलग ही देश था और वे उसके चीफ थे। 750 एकड़ में फैले डेरे में अलग ही दुनिया का अहसास होता था। बाबा ने भीड़ और पैसे के गठजोड़ के सहारे अपना साम्राज्य बनाया था। अध्यात्म, कारोबार और सियासत के तडक़े में उसने अपना जायका तैयार किया। अब डेरे में पैसा व भीड़ गायब है। राजनेता यहां नतमस्तक नहीं होते हैं। ऐसे में बाबा का यह ‘देश’ अब किसी गांव सरीखा ही रह गया है। यहां कुछेक शिक्षण संस्थान एवं एक अस्पताल व कुछ दुकानों को छोडक़र हर भवन पर ताले लटके हैं। पीले पंजे के हथौड़े से बचने के लिए जब बाबा ने पंचायत चुनाव से कुछ समय पहले नवम्बर 2015 में अपने डेरे को ‘शाह सतनाम पुरा गांव’ घोषित करवाया था, तो उस समय बाबा ने भी नहीं सोचा था कि अगस्त 2017 की घटना के कुछ समय बाद ही व्यावहारिक रूप से एक अलग ‘देश ’ की तरह नजर आने वाला उनका डेरा एक साल बाद वास्तव में एक गांव सरीखा ही रह जाएगा। डेरा में अब यही आलम है। एक साल बाद यहां की आबाद कालोनियों में रहने वाले अधिकांश लोग यहां नहीं है। भीड़ भी नहीं है। कारखाने ठप्प हैं। भीड़ नहीं है तो दुकानों-कारखानों को ताले लगे हैं। बाबा ने कैसे 24 बरस में अपना साम्राज्य खड़ा किया और कैसे एक साल में बाबा का यह साम्राज्य धवस्त हो गया? इसको ही खंगालती हमारी आज की यह ग्राऊंड रिपोर्ट:


ऐसे बनाई थी अपनी दुनियां
गंगानगर के गुरुसर मोडिया का रहने वाला गुरमीत राम रहीम 90 के दशक में डेरे में आया। गुरमीत राम रहीम का परिवार डेरे के दूसरे गद्दीनशीन शाह सतनाम संग नजदीकी से जुड़ा था। गुरमीत राम रहीम शाह सतनाम के सानिध्य में रहने लगा। 23 सितम्बर 1992 को गुरमीत डेरा का चीफ बन गया। उस समय शहर से करीब 5 किलोमीटर दूर डेरा सच्चा सौदा मुख्यालय था। साल 1993 में गुरमीत राम रहीम डेरे को यहां से करीब 5 किलोमीटर आगे गांव नेजिया के पास ले गया। उसने गांव नेजिया, बेगू के साथ लगती करीब 700 एकड़ जमीन साल 1997 से 2000 तक खरीद ली। यह वह दौर था जब गुरमीत राम रहीम डेरे को अध्यात्म के साथ कारोबार की दुनियां में ले जाने लगा। साल 1997 में उसने पुराने डेरा में करीब 60 दुकानों वाली सच एयरकंडीशनर मार्कीट बनाई। इससे पहले उसने साल 1994 में डेरा में गल्र्स सीनियर सैकेंडरी एवं ब्वॉयज सीनियर सैकेंडरी स्कूल बनाए। यह सिलसिला बढ़ता गया। कालेज, आयुर्वेदिक अस्पताल, कशिश रेस्तरां, फुड पार्टी सहित खान-पान के उत्पाद बनाने वाला किंग्जी कारखाना उसने इसी दौर में शुरू किया।
गांव को बना दिया देश
इसके बाद तो गुरमीत का कारोबार बढ़ता गया। उसने राजस्थान हवेली, पैट्रोल पम्प, माही सिनेमाघर, खेल गांव तक बना दिए। उसने सात अजुबे, सुपरस्पैशलिटी अस्पताल, थ्री स्टार होटल, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम बना दिया। यही नहीं 150 घरेलू उपभोग के उत्पाद बनाने वाली एम.एस.जी. फूड कंपनी बनाकर देशभर में इसके करीब 500 आऊटलेट्स खोल दिए। रेडीमेड गारमेंटस का कारखाना लगा दिया और फिर फिल्मी दुनिया में भी कदम रख दिया। डेरे में कालोनियां बना दी। उसका डेरा उसके अपने कानूनों और सिद्धांतों के चलते अलग से देश का एहसास कराता था। भीड़ के बलबूते पर उसने अपने उत्पाद, सब्जियां बेचकर और परमार्थ के नाम पर लोगों से जमीने लेकर अरबों-खरबों का साम्राज्य खड़ा किया।

यूं धवस्त हुआ साम्राज्य
करीब 24 बरस तक अध्यात्म, कारोबार और सियासत के तडक़े में डेरा चीफ ने डेरा मे जायका लगाकर अपना साम्राज्य खड़ा किया। 1993 में डेरा संभालने से लेकर 25 अगस्त 2017 को जेल जाने तक बाबा ने डेरा मे हर तरह का कारोबार किया। पर एक बरस में ही बाबा का यह साम्राज्य धवस्त हो गया। जिस भीड़ और पैसे के बलबूते पर बाबा ने डेरा खड़ा किया। अब उसी भीड़ और पैसे के नदारद होने के बाद बाबा का देश एक गांव सरीखा रह गया है। बाबा के जेल जाने से पहले डेरा में जनवरी माह, अगस्त माह, सितम्बर माह में पूरे माह विशेष भंडारे लगते थे। 20-20 दिन चलने वाले उत्सवों में लाखों की भीड़ जुटती। यही भीड़ बाबा के खेतों की सब्जियां एवं फल, बेकरी उत्पादक, घरेलू उत्पाद, कपड़े से लेकर हर चीज की यहां खरीददारी करती थी। आज भीड़ की संख्या पहले के मुकाबले 1 फीसदी रह गई है। उत्पाद बनाने वाले तमाम कारखाने भी बंद हैं। बाबा के जेल जाने के बाद ही डेरा की गाड़ी पटरी से उतरना शुरू हो गई थी। 26 अगस्त 2017 को प्रशासन ने डेरा के बैंक खाते सील करने काम किया। डेरा के करीब 38 बैंक खाते सील किए गए। इनमें करोड़ों की रकम थी। इसके बाद डेरा की आॢथक कमर टूट गई। डेरा के फूड, बेकरी, कपड़ा, बैटरी, दवा, एलोवेरा जूस, मिनरल वाटर तमाम कारखाने बंद हो गए। उत्पादन ठप्प हो गया। विभिन्न शहरों में खुले आऊटलेट्स बंद होने लगे। भंडारे भी लगने बंद हो गए। भीड़ जुटना बंद हो गई। रोजगार ठप्प होने के बाद डेरा में बने फ्लैट्स में रहने वाले लोग यहां से डेरा छोडक़र चले गए। आज डेरा में 21 कारखाने बंद हैं। माही सिनेमा को ताला लगा हुआ है। कभी डेरा को सालाना करोड़ों की कमाई देने वाला सात अजुबे का गेट भी खुला नहीं है। थ्री स्टार होटल के द्वारा बंद हैं तो फुड पार्टी रेस्तरां भी नहीं चल रहा है।
रूबरू नाइट ने किया था मालामाल
रोचक पहलू यह है कि डेरा में आने वाले अधिकांश प्रेमी निम्न वर्गीय जरूरतमंद तो थे ही और इसी मजदूर तबके से कारोबार में करोड़ों-अरबों कमाने वाले मालदार लोग भी। इन्हीं मालदार लोगों से बाबा कभी रूबरू नाइट तो कभी परमार्थ के नाम पर मोटी रकम लेता था। अपने इस कमॢशयल फंडे में शुमार था बाबा का वंडर लैंड। इसका आकार घोड़े की तरह बनाया गया है। एक चांद के आकार की इमारत है तो एक सूरज के आकार की इमारत है। पेरिस के एफिल टॉवर की तरह एक इमारत बनाई गई है। रोचक बात यह है कि इन सभी इमारतों में आलीशान कमरे बने हुए हैं। यहां आने वाले मेहमान महंगा किराया देकर इन अत्याधुनिक कमरों में रुकते थे। बताया गया है कि इन कमरों का किराया 20 हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक थे। एक तिब्तियन शैली की भी इमारत बनी हुई है। अक्सर यहां पर चहल-पहल रहती है। डेरा में एक हाइटैक कालोनी बनी हुई है। प्रत्येक चार मंजिला इमारत में फ्लैट बने हुए हैं। प्रत्येक फ्लैट को 32 लाख रुपए के सिक्योरिटी अमाऊंट पर दिया गया था। अब यह कालोनी भी वीरान है, क्योंकि डेरा अनुयायी यहां से जा चुके हैं।
कनैक्शन बहाल, पर उत्पादन ठप्प
बिजली निगम की ओर से डेरा में चल रहे करीब 53 घरेलू कनैक्शन अब तक काटे गए हैं। इन कनैक्शनों पर 6 लाख 12 हजार 288 रुपए की राशि बकाया है। इसके अलावा तीन बड़े कारखानों के कनैक्शन भी कट हैं, जिन पर करीब 9 लाख रुपए बकाया हैं। इसके अलावा चार कमॢशयल कनैक्शन काटे गए हैं, जिन पर करीब 1 लाख 55 हजार 288 रुपए बकाया हैं। कुल मिलाकर डेरा में चल रहे 62 कनैक्शन कटे हुए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डेरा प्रबंधन की ओर से करीब एक माह पहले 21 विभिन्न औद्योगिक कनैक्शनों के करीब 40 लाख रुपए के बिल भरे गए थे। बिल भरने के बाद 21 कारखानों के कनैक्शन शुरू हो गए हैं पर यहां उत्पादन नहीं हो रहा है।

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