किसान आंदोलन को हवा दे रही कांग्रेस के सामने बीजेपी ने एक समस्या खड़ी कर दी है. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उपज की खरीद को लेकर सड़क से लेकर संसद तक हंगामा हो रहा है. लेकिन अब तक कांग्रेस शासित राजस्थान सरकार ने एमएसपी पर बाजरा खरीदने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव ही नहीं भेजा है. जबकि यह देश का सबसे बड़ा बाजरा उत्पादक प्रदेश है. अब राजस्थान बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री इस मुद्दे को लेकर गहलोत सरकार पर हमलावर हैं. वो सीएम गहलौत से कह रहे हैं कि आप केंद्र को बाजरा खरीद का प्रस्ताव भिजवाईए.
एक सीएम एमएसपी नहीं दे रहा, दूसरा उत्पादन नहीं चाहता
बाजरे का महत्व तब और बढ़ जाता है जब भारत की पहल पर पूरी दुनिया 2023 में मोटा अनाज वर्ष बनाने जा रही है. लेकिन देश में इसके किसानों की दशा ठीक नहीं है. राजस्थान में इसका उत्पादन करने वाले किसानों को एमएसपी नहीं मिल रहा. उधर, बीजेपी शासित हरियाणा में मनोहरलाल खट्टर बाजरे की खेती नहीं करने वाले किसानों को 4000 रुपये प्रति एकड़ का प्रोत्साहन देकर इसके उत्पादन को संस्थागत तरीके से हतोत्साहित कर रहे हैं. जबकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं.
पिछले साल भी नहीं भेजा गया था प्रस्ताव
साल 2020 में भी राजस्थान सरकार ने एमएसपी पर बाजरा खरीद का प्रस्ताव केंद्र को नहीं भेजा था. दूसरी ओर, बीजेपी शासित हरियाणा सरकार ने राजस्थान का बाजरा (Bajra) खरीदने के इनकार कर दिया था. इसके बाद किसानों को औने-पौने दाम पर फसल बेचनी पड़ी थी. इस साल भी किसानों के सामने ऐसा ही संकट आता दिख रहा है. राजस्थान में सितंबर-अक्टूबर में बाजरा की फसल तैयार हो जाती है, इसलिए एक बार फिर इसकी सरकारी खरीद को लेकर सियासत शुरू हो गई है.
एमएसपी पर खरीद के लिए ये है सिस्टम
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी राजस्थान के बाड़मेर से सांसद हैं. इसलिए वो इस मसले को लेकर राज्य सरकार पर हमलावार हैं. किसी भी फसल को एमएसपी पर खरीद के लिए पहले राज्य सरकार केंद्र को अनुरोध भेजती है, फिर केंद्र से अनुमति मिलती है. पिछले साल की तरह ही गहलोत सरकार ने इस साल भी अब तक खरीद के लिए केंद्र को प्रस्ताव नहीं भेजा है. इसलिए बीजेपी को कांग्रेस (Congress) के ‘किसान प्रेम’ पर सवाल उठाने का मौका मिल गया.
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री ने गहलोत को क्या कहा?
कृषि राज्य मंत्री ने लिखा, “आदरणीय अशोक गहलोत जी, जैसा कि आपको विदित है कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने अपने इस वर्ष के स्वतंत्रता दिवस उद्बोधन में कुपोषण से लड़ने के लिए पोषक अनाजों की महत्वता के बारे में बताया था. राजस्थान प्रदेश में बाजरे की अच्छी पैदावार होती है.
बाजरा पोषक आहार की श्रेणी में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. मेरी जानकारी में आया है कि राजस्थान सरकार द्वारा किसानों से बाजरे की खरीद नहीं की जा रही है, जबकि केंद्र सरकार खरीदे गए बाजरे को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत वितरण को तैयार है.”
चौधरी आगे लिखते हैं, “मेरा आपसे आग्रह है कि जल्द से जल्द किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बाजरे की खरीद का प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को भिजवाने की कृपा करें, ताकि केंद्र सरकार द्वारा पीडीएस (PDS) के माध्यम से जन-जन तक बाजरे जैसे पोषक आहार को पहुचाया जा सके.”
देश में कितना है बाजरा उत्पादन
राजस्थान देश का सबसे बड़ा बाजरा उत्पादक है, यहां पर देश का लगभग 44 फीसदी बाजरा पैदा होता है. केंद्र सरकार ने अपने चौथे अग्रिम अनुमान में 10.86 मिलियन टन बाजरा पैदा होने की बात कही है. साल 2005-06 में देश में 7.68 मिलियन टन बाजरा पैदा (Bajra Production) हुआ था. साल 2021-22 के लिए केंद्र सरकार ने बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रुपये तय किया है.
हरियाणा के सीएम ने कसा तंज
बाजरा को लेकर हरियाणा के सीएम मनोहरलाल खट्टर अक्सर राजस्थान सरकार पर तंस कसते रहते हैं. पिछले सप्ताह ही गुरुग्राम में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “हमने बाजरे की खरीद 2150 रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की. जबकि राजस्थान सरकार बाजरा नहीं खरीद (bajra procurement) रही थी, और वहां पर किसान 1200 से 1300 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर इसे बेच रहे थे.” हालांकि, यह भी सच है कि तंज कसने वाले मनोहरलाल की सरकार ने राजस्थान के परेशान किसानों का बाजरा हरियाणा की मंडियों में खरीदने से साफ मना कर दिया था.