टोक्यो ओलिंपिक की रेसलिंग मैट पर भारत को एक और मेडल मिल गया. हिंदुस्तान को ये मेडल दिलाया है ‘बलवान’ पुत्र बजरंग ने. बलवान पुत्र इसलिए क्योंकि उनके पिता का नाम बलवान सिंह पूनिया है. टोक्यो की मैट पर बलवान सिंह के बेटे बजरंग ने भारत को ब्रॉन्ज मेडल के रंग में रंगा है. और ऐसा करते हुए वो अपने मां-बाप समेत 135 करोड़ हिंदुस्तानियों की उम्मीदों पर वो खरे उतरे हैं. बजरंग 6 अगस्त को सोने के तमगे की लड़ाई के लिए क्वालिफाई करने में नाकाम रहे थे लेकिन कांसे के मैच में उन्होंने कोई कमी नहीं छोड़ी.
टोक्यो में बजरंग पूनिया ने भारत के लिए जो मेडल पक्का किया है, उसके लिए उनके मां-बाप को उन पर पूरा भरोसा था. पिता बलवान सिंह ने पिछले दिनों कहा था कि उनका बेटा सोना जीतकर लाएगा. ANI से बातचीत में बजरंग पूनिया के पिता ने बताया था, ” मैंने बजरंग से बात की है. वो खुश है. मैंने उसे गोल्ड लाने को कहा है. वो काबिल है और अपना बेस्ट देगा. मुझे पूरी उम्मीद है वो अपना 110 पर्सेन्ट झोंक देगा और देश के लिए गोल्ड जीतकर ही लौटेगा.” हालांकि बजरंग सेमीफाइनल में हार गए थे इससे गोल्ड दूर रह गया था. लेकिन यह उनका पहला ही ओलिंपिक था और उन्होंने कांसे के साथ शुरुआत की है. यह भी कम बात नहीं है.
हिंदुस्तान भी दे रहा ताव, बजरंग लगा दो गोल्डन दांव
बजरंग की मां ने बेटे की कामयाबी के लिए अखंड ज्योत का आयोजन भी घर पर किया है. भारतीय पहलवान की मां ओम प्यारी ने कहा, “मैंने बजरंग से बात की है. मैंने उसे मेडल लाने को कहा है. मुझे टेंशन नहीं है क्योंकि मुझे अपने बेटे के लगाए दांव पर पूरा भरोसा है.”
बजरंग पूनिया से हिंदुस्तान को भी बहुत उम्मीदें थीं. इसकी एक बड़ी वजह है उनका अपनी कैटेगरी के पहलवानों के बीच वर्ल्ड नंबर वन हैं. टोक्यो ओलिंपिक में उन्हें हालांकि दूसरी सीड मिली थी. ओलिंपिक मेडल की तलाश में अपने अभियान की शुरुआत उन्होंने बेहतर डिफेंस से की थी. लेकिन जिस मुकाबले से मेडल पक्का होना था, यानी सेमीफाइनल का दंगल उसमें उन्होंने अटैक की बेहतरीन नुमाइश की और जोरदार दांव से अजरबेजान के पहलवान हाजी अलीयेव को चित कर दिया था.