बीसीसीआई ने सभी राज्य क्रिकेट संघों को 2 महीने तक चुनाव टालने को कहा, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को लेकर लिया फैसला

Parmod Kumar

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भारतीय क्रिकेट कंटोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने सभी राज्य क्रिकेट संघों को दो महीने के लिए उनके चुनाव टालने को कहा है। बीसीसीआई से 38 इकाइयां संबद्ध हैं। इनमें से 25 के चुनाव इस साल सितंबर में होने थे। राज्य संघों ने चुनाव को लेकर तैयारियां भी शुरू कर दी थीं। लोढ़ा समिति की सिफारिश के बाद सभी राज्य संघों ने नए संविधान के साथ सितंबर 2019 में अपने चुनाव कराए थे। बीसीसीआई के आदेश का कारण उसके पदाधिकारियों के लिए कूलिंग-ऑफ पीरियड खत्म करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का लंबित आदेश है। कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने बीसीसीआई के नए संविधान में प्रस्तावित परिवर्तनों के साथ 2020 में अदालत में एक याचिका दाखिल की थी। बीसीसीआई ने पिछले महीने शीर्ष न्यायालय का रुख किया। जिसमें उसने छह साल पूरे करने के बावजूद अपने अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह को एक और कार्यकाल की मंजूरी देने की याचिका पर निर्देश देने की मांग की थी। बीसीसीआई की मौजूदा व्यवस्था ने अक्टूबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) से पदभार ग्रहण किया था। 38 राज्य क्रिकेट संघों में से इंडियन एक्सप्रेस ने 12 इकाइयों के पदाधिकारियों से बातचीत की। उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि उन्हें बीसीसीआई के एक शीर्ष पदाधिकारी ने कॉल करके नवंबर 2022 तक चुनाव टालने के लिए कहा है। मुंबई क्रिकेट एसोसिएश ने इस मामले पर चर्चा के लिए मंगलवार को अपनी शीर्ष परिषद की आपात बैठक बुलाई है। एमसीए एपेक्स काउंसिल के एक सदस्य ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘हमें सूचित किया गया है कि बीसीसीआई ने चुनाव प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाने के लिए कहा है। साथ ही हम सभी को इसे नवंबर तक स्थगित करने के लिए कहा गया है। हमें इसके पीछे कोई और कारण नहीं दिया गया है।’ यह भी पता चला है कि बड़ौदा,मध्य प्रदेश और हैदराबाद के राज्य संघों ने चुनाव कराने का फैसला किया था। हालांकि, बीसीसीआई की कॉल के मद्देनजर उन्होंने तारीख टाल दी है। बीसीसीआई के एक पदाधिकारी ने बताया, ‘बीसीसीआई का मामला अब भी अदालत में लंबित है और कुछ महत्वपूर्ण संशोधन हैं जिन पर सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी मिलने की आवश्यकता है। बीसीसीआई का चुनाव सितंबर के अंत में होने वाला था, लेकिन अब इसे तब तक बढ़ाया जा सकता है जब तक कि सुप्रीम कोर्ट इस पर अपना अंतिम फैसला नहीं दे देता। राज्य संघ इंतजार करेंगे।’