धोखाधड़ी के मामले में जेल में बंद महिला द्वारा दाखिल नियमित जमानत याचिका को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि याची पर यह अकेली एफआईआर नहीं है बल्कि वह अन्य मामलों में भी लिप्त है। ऐसे में छोटा बच्चा जेल में साथ होने की दलील देकर वह जमानत की हकदार नहीं बनती है। नेशनल सिक्योरिटी गार्ड के हाउसिंग प्रोजेक्ट का टेंडर दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी का मामला सामने आया था। इस मामले में ईडी ने कार्रवाई आरंभ की थी और गुरुग्राम निवासी याची को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में एनएसजी मानेसर के नाम पर कई बैंक खाते खोले गए थे और लोगों से ठेके के नाम पर 167 करोड़ रुपये की ठगी की गई थी। इस मामले में याची महिला, उसके पति व रिश्तेदारों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। महिला ने कहा कि वह बेकसूर है और इस पूरी साजिश के पीछे उसका पति है। याची ने कहा कि जेल में उसका छोटा बच्चा साथ है ऐसे में उसे नियमित जमानत दी जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि कानून में महिलाओं के प्रति नरमी बरतने का प्रावधान है लेकिन जब कोई 100 करोड़ से ऊपर की धोखाधड़ी करे तो कैसे इस प्रकार की उम्मीद रखी जा सकती है। इस मामले में जो विवादित बैंक खाते हैं उनसे पैसा निकालने के लिए याची को अधिकृत किया गया था ऐसे में कैसे माना जा सकता है कि याची इसमें शामिल नहीं थी। कोर्ट ने कहा कि बच्चे की सभी मूल-भूत आवश्यकताओं की पूर्ति करना जेल प्रबंधन का काम है। हाईकोर्ट ने जमानत को सिरे से खारिज करते हुए ईडी निदेशक को आदेश दिया कि वह इस मामले से जुड़े अन्य पक्षों की जांच करें। हो सकता है कि आरोपियों की संपत्ति, वाहन, गहने आदि की जांच से बड़े षड्यंत्र का खुलासा हो जाए।
छोटे बच्चे के साथ जेल में होना जमानत का आधार नहीं, याचिका खारिज
Parmod Kumar