ग्रीनलैंड-अंटार्कटिका पर बड़ा खतरा, दुनिया के 10 में से हर एक इंसान को चुकानी होगी ये कीमत

Parmod Kumar

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वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगर इंसान धरती के बढ़ते तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस पर रोक भी दे, तो भी दोनों ध्रुवों पर खतरा कम नहीं होगा. अंटार्कटिक और ग्रीनलैंड पर तेजी से पिघलने वाली बर्फ को वापस जमाया नहीं जा सकेगा. इतनी बर्फ पिघलेगी कि इससे तटीय इलाकों पर रहने वाले लोगों पर खतरा बढ़ जाएगा.

Greenland, Antarctica Melting Six Times Faster Than in the 1990s | NASA

कोरिया के इंस्टीट्यूट ऑफ बेसिक साइंस के क्लाइमेट फिजिसिस्ट एक्सेल टिमरमैन इन दोनों ध्रुवों के पिघलने की वजह से पिछली सदी में समुद्री जलस्तर 20 सेंटीमीटर औसत की दर से बढ़ा है. यानी दुनिया में रहने वाले हर दस में से एक व्यक्ति को अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड के पिघलने से खतरा है. इन्हें अपने रहने का स्थान बदलना होगा.

संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी जनरल अंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि दोनों ध्रुवों के पिघलने से समुद्री जलस्तर बढ़ेगा और बड़े पैमाने पर लोगों का विस्थापन होगा इसके लिए पूरी दुनिया को तैयार रहना होगा. हैरानी इस बात की है जिस समय वैज्ञानिक इन दोनों ध्रुवों पर मौजूद बर्फ के पिघलने की आशंका कर रहे थे, यह घटना उससे पहले घटेगी. यह स्टडी नेचर कम्यूनिकेशंस में प्रकाशित हुई है.

पुसान नेशनल यूनिवर्सिटी के क्लाइमेट साइंटिस्ट जून यंग पार्क ने कहा कि अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड पर मौजूद हिमखंड तेजी से पिघल रहे हैं. ग्लोबल वॉर्मिंग खतरनाक स्तर से बढ़ रहा है. इसे एक तय डिग्री सेल्सियस पर रोक भी लें तो भी बर्फ की चादरों को पिघलना रोक नहीं पाएंगे. यह प्रक्रिया वापस ठीक नहीं की जा अगले 130 साल में समुद्री जलस्तर 100 सेंटीमीटर बढ़ जाएगा.

उधर, यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर के द नेशनल स्नो एंड आइस डेटा सेंटर (NSIDC) ने ऐसी स्टडी की है. जिसके परिणाम बेहद भयावह हैं. स्टडी के मुताबिक 21 फरवरी 2023 तक अंटार्कटिका से 17.9 लाख वर्ग किलोमीटर बर्फ पिघली है. यह पिछले 45 साल का रिकॉर्ड है. वैज्ञानिक इतने सालों से लगातार अंटार्कटिका पर सैटेलाइट से नजर रख रहे हैं

साल 2022 में अंटार्कटिका का 1.36 लाख वर्ग किलोमीटर बर्फ का इलाका खत्म हो गया था. NSIDC के वैज्ञानिकों के मुताबिक यह प्राइमरी स्टडी है. मार्च महीने में वो सटीक आंकड़ों के साथ दोबारा रिपोर्ट जारी करेंगे. हालांकि आंकड़ों में ज्यादा अंतर आने की उम्मीद नहीं है. डर इस बात का है जितनी बर्फ पिघली है, उससे कितना जलस्तर बढ़ा है.