हरियाणा सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग खरीद (Moong Procurement) की तारीख बढ़ा दी है. इसकी खरीद 15 नवंबर को बंद होनी थी. लेकिन अब इसे 30 नवंबर तक खरीदने का फैसला लिया गया है. कृषि विभाग के उच्चाधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी है. राज्य सरकार ने प्रदेश में दलहनी फसलों को बढ़ावा देने व न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर मूंग की खरीद को सुनिश्चित करने के लिए यह फैसला लिया है. किसानों के हित को देखते हुए हैफेड व नैफेड द्वारा मूंग की खरीद राज्य की 38 अधिसूचित मंडियों में इस महीने होती रहेगी. मूंग का एमएसपी 7275 रुपये प्रति क्विंटल है.
डीएपी की कोई कमी नहीं
कृषि विभाग, हरियाणा के महानिदेशक हरदीप सिंह ने दावा किया है कि प्रदेश में उर्वरकों (Fertilizer) की कोई कमी नहीं है. उन्होंने कहा कि राज्य में गेहूं (Wheat) की बिजाई शुरू हो चुकी है. जिसमें डीएपी खाद की उपलब्धता बिजाई के समय किसानों के लिए जरूरी है. प्रदेश में 16 नवंबर 2021 तक 2 लाख 15 हजार मीट्रिक टन डीएपी (DAP) उपलब्ध करवाई जा चुकी है. जिसमें से 1 लाख 88 हजार मीट्रिक टन किसान खरीद चुके हैं.
सिंह ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा केंद्र से डीएपी की अतिरिक्त उपलब्धता बारे लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. पिछले तीन दिनों में 8 रैक मंगवाए जा चुके हैं. अगले तीन दिन में 9 रैक और मंगवाए जा रहे हैं. केंद्र सरकार राज्य में हर रोज 7 से 8 हजार मीट्रिक टन डीएपी/एनपीके उपलब्ध करवा रही है.
किसानों से अपील
कृषि महानिदेशक ने किसानों (Farmers) से अपील की कि जिस भी जिले में खाद के रैक की उपलब्धता हो वहां पर किसी प्रकार की अव्यवस्था न फैलने दें. खाद की खरीद के समय संयम रखें व शांतिपूर्वक तरीके से खरीद करें. बता दें कि हरियाणा डीएपी संकट का सामना करने वाले राज्यों में शामिल रहा है. क्योंकि यह प्रमुख गेहूं और सरसों (Mustard) उत्पादक है. जिस वक्त इन दोनों फसलों की अगेती किस्मों की बुवाई शुरू हुई थी उस वक्त खाद के लिए पूरे प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ था.
तब क्या कर रही थी सरकार
जिस समय हरियाणा के किसान डीएपी के अभूतपूर्व संकट से जूझ रहे थे उस वक्त सरकार खासतौर पर सरसों की खेती के लिए एसएसपी यानी सिंगल सुपर फास्फेट को प्रमोट कर रही थी. तब वो बता रही थी कि यदि एसएसपी का यूरिया के साथ इस्तेमाल करें तो डीएपी से अच्छा रिजल्ट आएगा. क्योंकि एसएसपी में नाईट्रोजन की उपलब्धता यूरिया (Urea) से हो जाती है. साथ ही इसमें पहले से सल्फर और कैल्शियम भी होता है जो कि डीएपी में नहीं है. लेकिन अब डीएपी को लेकर हालात सामान्य हो रहे हैं.