अगले साल अप्रैल-मई में संभावित लोकसभा के आम चुनावों में जीत का परचम लहराने के लिए हरियाणा में बीजेपी ने कमर कस ली है। हरियाणा में सत्तासीन बीजेपी 2024 में होने वाले विधानसभा चुनाव से ज्यादा लोकसभा पर फोकस कर रही है। यही कारण है कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने अभी से सांसदों की टिकटों पर मंथन पर शुरू कर दिया है। पुन: सत्ता बनाए रखने के लिए बीजेपी ने अब तक मुफीद रही हरियाणा की सियासी जमीन को और ‘जरखेज’ बनाने की कवायद तेज कर दी है। हरियाणा में मिशन-2024 के तहत बीजेपी ने फिर तमाम 10 सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा हुआ है। केंद्रीय नेतृत्व के अलावा बीजेपी की मदर संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा भी तमाम सीटों पर सर्वे करवाया जा रहा है।
पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं से बातचीत के आधार पर सांसदों का ‘रिपोर्ट कार्ड’ तैयार किया जा रहा है। अभियानों-जनसंपर्कों के बीच पार्टी ने उन सांसदों की स्कैनिंग शुरू की है, जिनका फीडबैक बहुत खराब हैं। इनके टिकट काटे जा सकते हैं। अभी तक के मंथन में केंद्रीय नेतृत्व 2 सांसदों की टिकट पर कैंची चलाने की तैयारी भी कर रहा है। हरियाणा सरकार के कुछ मंत्रियों को भी इक्वेशन व इंपेक्ट के आधार पर चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर उतारा जा सकता है।
हिसार व रोहतक सांसदों की कट सकती है टिकट
हरियाणा के दो सांसदों को तेवर बदले हुए हैं। रोहतक के सांसद डॉ. अरविंद शर्मा व हिसार से सांसद बृजेंद्र सिंह सरकार में रहकर भी बेचैनी दिखा चुके हैं। बृजेंद्र सिंह सरकार की नीतियों पर खुलकर बोलते हैं। उनके पिता व पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह बीजेपी के कई फैसलों पर पब्लिकली सवाल उठा देते हैं। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी अंदर खाने हिसार के लिए नया चेहरा तलाश रही है। वहीं रोहतक के सांसद अरविंद शर्मा की बात करें तो उन्हें केंद्र में मंत्री पद मिलने की उम्मीद थी, पर मोदी सरकार में उनका समायोजन नहीं हो सका। अरविंद शर्मा का सीएम मनोहर लाल खट्टर से 36 का आंकड़ा है। संभावना है कि उन्हें किसी अन्य लोकसभा क्षेत्र से टिकट दिया जाए।
कांग्रेसी पृष्ठभूमि से हैं अरविंद शर्मा
डॉ. अरविंद शर्मा वैसे भी कांग्रेस की पृष्ठभूमि से हैं। वे पहले कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं। बाद में उनका हृदय परिवर्तन हुआ और बीएसपी ने उन्हें प्रदेशाध्यक्ष बनाकर सीएम पद का दावेदार घोषित कर दिया लेकिन ज्यादा दिन दाल नहीं गली। फिर डॉ. अरविंद शर्मा बीजेपी में चले गए और पहले कुरुक्षेत्र व बाद में रोहतक के लिए उनका नाम टिकट के लिए चयनित हुआ। फिलहाल वे रोहतक से सांसद हैं लेकिन कई मसलों पर उनकी मुख्यमंत्री मनोहर लाल से खटपट होती रही। पहरावर की जमीन को लेकर भी वे एगे्रसिव रहे। इसी तरह हिसार से सांसद बृजेंद्र सिंह भी सरकार के कामकाज पर उंगली उठाते रहे। उनका टिकट भी काटा जा सकता है। सिरसा सुरक्षित लोकसभा सीट से सुनीता दुग्गल वर्तमान सांसद हैं लेकिन पार्टी में पूर्व डीजीपी बीएस संधू का नाम चल रहा है। एक अन्य दबंग पुलिस अधिकारी एडीजीपी श्रीकांत जाधव भी इसी लाइन में हैं। पहले मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार कृष्ण बेदी यहां सक्रिय थे। बीएस संधू को सिरसा या अंबाला दोनों आरक्षित लोकसभा में किसी एक जगह से उतारा जा सकता है। इसी तरह सिरसा में एसपी रहे वी कामराज का नाम भी चर्चा में आ रहा है। वी कामराज पहले भी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लडऩे के इच्छुक थे।
गृहमंत्री ने खट्टर टीम को दिया टास्क
हरियाणा में लोकसभा की 10 सीटें हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी सभी सीटों पर विजय दर्ज करने में कामयाब रही। अपनी सिरसा की रैली में अमित शाह ने सीएम मनोहर लाल टीम को फिर सभी सीटें जीतने का टास्क दिया। अंबाला सांसद रतनलाल कटारिया का निधन हो चुका है। बीजेपी ने यहां उपचुनाव नहीं करवाया। इसलिए पार्टी को अंबाला लोकसभा की बजाय सभी सीटों पर पूरी मजबूती के साथ मैदान में उतरने के निर्देश दिए गए हैं। तमाम औजार होने के बावजूद बीजेपी जीत की जंग जीत लेगी, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। अभी तो तेल देख, तेल की धार देख वाली बात है।