विधानसभा चुनाव के लिए पांच राज्यों में बीजेपी की रणनीति, मतदाताओं से कनेक्ट करने के लिए ये ‘शतकीय प्लान बनाया।

Parmod Kumar

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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पांच राज्यों में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए शतकीय प्लान बनाया है.पांच राज्यों में चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने के लिए पार्टी के प्रमुख वरिष्ठ नेताओं को प्रतिनियुक्त किया है और सांसदों से दैनिक हिसाब मांगा है. मामले से परिचित बीजेपी पदाधिकारियों के अनुसार, सभी मंत्रियों और सांसदों को निर्देश दिया गया है कि वे ‘छोटे समूहों’ में लोगों की बैठकें करें ताकि मतदाताओं के साथ बेहतर तरीके से ‘कनेक्ट’ किया जा सके.

प्रचार के लिए आउटरीच की निगरानी की जा सके और सामाजिक योजनाओं को उजागर करने के लिए ‘अभिनव’ कार्यक्रम तैयार किया जा सके.संसद का शीतकालीन सत्र अभी दो सप्ताह और चलेगा. शीतकालीन सत्र का समापन 23 दिसंबर को होना है. लेकिन इसी बीच पार्टी के आदेश के मुताबिक इन सभी सौ सांसदों का सोमवार से संसद आना मुश्किल दिखाई दे रहा है.

ऐसी है बीजेपी की योजना

बीजेपी ने 5 राज्यों- उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के लिए लिए 100 सांसद- मंत्रियों की टीम गठित की है जिसमें लोकसभा, राज्यसभा सांसद शामिल हैं. अलग-अलग सांसद-मंत्रियों को जिम्मा सौंपा गया है और चुनाव तक राज्यों में रहने के निर्देश दिए गए हैं. ये सांसद सोमवार से शीतकालीन सत्र में नहीं आएंगे.

वहीं एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में, राज्य के महासचिव संगठन सुनील बंसल की अध्यक्षता में पार्टी के वार रूम में एक दैनिक रिपोर्ट जमा करनी होती है.’ क्योंकि चुनाव संबंधी कार्य संसद के शीतकालीन सत्र के साथ मेल खाते हैं, और मतदान वाले राज्यों के अधिकांश सांसदों को कार्यवाही में भाग लेने की आवश्यकता होती है, इसलिए पार्टी ने अन्य राज्यों के विधायकों, मंत्रियों और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों को उनकी जगह लेने के लिए प्रतिनियुक्त किया है.

उदाहरण के लिए, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश के नेताओं को उत्तर प्रदेश के कई जिलों का प्रभार दिया गया है. इसी तरह हरियाणा के नेताओं का एक जत्था पंजाब और उत्तराखंड में प्रतिनियुक्त किया जाएगा. मतदान वाले राज्यों के मंत्रियों और सांसदों को सप्ताहांत पर अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में रिपोर्ट करना होता है, जब संसद सत्र में नहीं होती है. एक पदाधिकारी ने बताया, ‘उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित सभी वरिष्ठ नेताओं को भी पन्ना प्रमुख के रूप में जिम्मेदारियां दी गई हैं. पहले, वरिष्ठ मंत्री स्वेच्छा से पन्ना प्रमुख बन सकते थे, लेकिन अब, उनके लिए एक पृष्ठ पर सूचीबद्ध 30-60 मतदाताओं से जुड़ना अनिवार्य किया जा रहा है.’