लहू मांगे इंसाफ: ये पांच लाशें चीख-चीखकर दे रहीं गवाही, पर पुलिस की जांच में हुआ बड़ा खेल, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

lalita soni

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 शायद यही वजह है कि किसी पर आंच न आ जाए इसलिए एफआईआर से बारूद का गोदाम गायब कर दिया गया। लेकिन ये मौतें इंसाफ मांग रही हैं।

Meerut Blast Case : Police has omitted gunpowder warehouse from FIR

ऊपर पटाखों का गोदाम। नीचे साबुन फैक्टरी। सैकड़ों किलो बारूद के बीच रोज की रोटी कमाते गरीब। क्या ये सिर्फ हादसा है… नहीं। अगर मौके पर सिर्फ साबुन की फैक्टरी होती और धमाका हो जाता, तो ये हादसा था। लेकिन पटाखों के बारूद की चपेट में आकर पांच लोग मर गए हैं। इससे साबित हो जाता है कि शहर में बारूद का गोदाम का चल रहा था। शायद यही वजह है कि किसी पर आंच न आ जाए इसलिए एफआईआर से बारूद का गोदाम गायब कर दिया गया। लेकिन लहू इंसाफ मांगता है।

Meerut Blast Case : Police has omitted gunpowder warehouse from FIR

पुलिस जिस पटाखे के गोदाम को गायब कर देना चाहती थी, वह खुद पुलिस की लिखा-पढ़ी में मौजूद है। इन पांच शवों के पंचायतनामे में दर्ज है कि मौके पर साबुन बनाने की फैक्टरी व पटाखों का गोदाम था। ये पंचायतनामा सिर्फ इन पांच मजदूरों का नहीं है। यह कानून का भी पंचनामा है।

Meerut Blast Case : Police has omitted gunpowder warehouse from FIR

प्रयाग साह, चंदन, सुनील ठाकुर, अयोध्या राम और रूपन साह की लाशें खामोश रहकर भी इस बात की गवाही दे रही हैं कि उनकी मौत महज सिर्फ एक हादसा नहीं है। ये कानून की भी मौत है। जो काम पुलिस-प्रशासन के बड़े-बड़े आला अधिकारी दो दिन में नहीं कर पाए, वो इन लाशों के पंचायतनामे ने कर दिखाया है।

Meerut Blast Case : Police has omitted gunpowder warehouse from FIR

मौका-ए-वारदात पर मिले सबूत भी इस बात की चीख-चीखकर गवाही दे रहे हैं कि वहां पर पटाखों का जखीरा मौजूद था। लेकिन कानून को न मौका-ए-वारदात पर मिले सबूत दिखाई दिए और न ही लाशों का पंचायतनामा।

Meerut Blast Case : Police has omitted gunpowder warehouse from FIR
हजारों किलोमीटर दूर से रोजी-रोटी कमाने आए ये मजदूर परदेसी हैं। शायद यही वजह हो कि लोहियानगर में पटाखा गोदाम में हुए धमाके में मरने वाले पांच लोगों को इंसाफ मिलने में इतनी देरी हो रही है। अब तक जो अधिकारी साबुन फैक्टरी में रखे मोबिल ऑयल और फिनाइल आदि की वजह से धमाके की बात कर रहे थे, उनकी इस थ्योरी को खुद पुलिस के पंचायतनामे ने फेल कर दिया है।
Meerut Blast Case : Police has omitted gunpowder warehouse from FIR
लोहियानगर पुलिस ने घटना वाले दिन 17 अक्तूबर को सुबह 10 बजकर 50 मिनट पर जो अज्ञात लाशों का पंचायतनामा भरा है, उसमें उनकी मौत का कारण पटाखा स्टोर/साबुन फैक्टरी में आग से झुलसना बताया है।

Meerut Blast Case : Police has omitted gunpowder warehouse from FIR
वहीं, इसी तारीख को शाम तीन बजकर 50 मिनट पर लोहियानगर पुलिस की तरफ से ही एफआईआर दर्ज कराई गई है, जिसमें पंचायतनामे की सच्चाई को दर किनार करते हुए पटाखा गोदाम का नाम गायब हो गया।
Meerut Blast Case : Police has omitted gunpowder warehouse from FIR
एफआईआर में सिर्फ साबुन फैक्टरी में हुए विस्फोट की वजह से मौत दिखाई गई है। सवाल ये है कि पुलिस पांच घंटे में अपने ही पंचायतनामे को कैसे भूल गई। बृहस्पतिवार को इन अज्ञात लाशों वाले पंचायतनामों पर मृतकों के नाम लिखे गए तो ये सच भी उजागर हो गया।