मंगलवार को जब जिला परिषद से परियोजना अधिकारी अपने क्लर्क सहित अपना बीपीएल रिकॉर्ड संभालने के लिए यहां पहुंचीं तो यह लापरवाही सामने आई। हैरानी की बात यह है कि जिस शौचालय में बीपीएल का यह महत्वपूर्ण रिकॉर्ड रखवाया गया है उसे डीडीपीओ कार्यालय के कर्मचारी इस्तेमाल में लाते हैं। रिकॉर्ड की जांच के दौरान पीओ अपने क्लर्क से वीडियो बनवाकर ले गईं।
ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ी बीपीएल योजना जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए) के अंतर्गत आती है। डीआरडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पहले अतिरिक्त उपायुक्त थे। पहले ग्रामीण बीपीएल योजना से संबंधित स्टाफ भी लघु सचिवालय के द्वितीय तल पर कमरा नंबर 15 व 15ए में बैठता था इसलिए बीपीएल व डीआरडीए का सारा रिकॉर्ड सही रखा जाता था।
सरकार के निर्देशानुसार जब से डीआरडीए का चार्ज जिला परिषद के सीईओ के पास गया है तो डीआरडीए के स्टाफ को आनन-फानन जिला परिषद में शिफ्ट किया गया। तभी से यह रिकॉर्ड यहीं पड़ा था। बताया जा रहा है कि कमरा नंबर 15 में एडीए के बैठने के कारण इस कमरे की सफाई करवाई गई तो बीपीएल व डीआरडीए के रिकॉर्ड को रिकॉर्ड रूम में रखवाने की बजाय शौचालय में बने रैकों में रखवा दिया गया।
यदि ग्रामीण योजनाओं व ग्रामीणों से संबंधित इस रिकॉर्ड की कोई जानकारी चाहिए तो अधिकारियों व कर्मचारियों को शौचालय में जाना पड़ता है। ऐसे में यदि किसी भी गांव की बीपीएल रिकॉर्ड संबंधी फाइल ढूंढ़नी पड़ जाए तो शौचालयों में घंटों समय बिताना पड़ता है।
तीन साल से रैकों पर पड़े धूल फांक रहे महत्वपूर्ण रिकॉर्ड की सुध लेने वाला कोई नहीं था। जैसे ही इस रिकॉर्ड की किसी कोर्ट केस या आरटीआई जवाब में जरूरत पड़ी तो मंगलवार डीआरडीए के अधिकारियों ने इसकी सुध ली। इससे पहले यह रिकॉर्ड पानी से गले या कोई उठा ले जाए इसकी जिम्मेवारी लेने वाला कोई नहीं है। हालांकि उपायुक्त की ओर से राजस्व के रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने के लिए मॉडर्न रेवेन्यू रिकॉर्ड रूम तैयार करवाया गया है मगर इसमें केवल राजस्व संबंधी रिकॉर्ड ही सुरक्षित है।