हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र आज से, सरकार के खिलाफ हुड्डा का अविश्वास प्रस्ताव

Parmod Kumar

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हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र शुक्रवार दोपहर बाद शुरू होगा। बजट सत्र से पहले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी कर ली है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस आज ही विधानसभा अध्यक्ष को अविश्वास प्रस्ताव दे देगी। उसके बाद वह तय करेंगे कि इस पर चर्चा और वोटिंग कब करवानी है। विपक्ष की मांग है कि सत्र के दौरान जनहित से जुड़े तमाम मुद्दों पर चर्चा की जाए और सभी विधायकों को बोलने का पूरा वक्त मिले। हुड्डा ने कहा कि हर मोर्चे पर विफल बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार को सदन में शराब, रजिस्ट्री, भर्ती, पेपर लीक, माइनिंग जैसे तमाम घोटालों पर जवाब देना होगा। जिस तरह सरकार लगातार किसान आंदोलन की अनदेखी और किसानों पर अत्याचार कर रही है, कांग्रेस उसे सदन में आईना दिखाने का काम करेगी। हुड्डा ने कहा कि प्रदेश की जनता के सामने समस्याओं और विपक्ष के सामने मुद्दों का अंबार लगा हुआ है। इसलिए, इस बार के सत्र में कांग्रेस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, एमएसपी गारंटी बिल, कई स्थगन और ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाने जा रही है। सरकार से किसानों की अनदेखी, बढ़ती बेरोजगारी, डोमिसाइल के नियमों में फेरबदल, बढ़ते अपराध, पेपर लीक, शराब व रजिस्ट्री घोटाले जैसे मुद्दों पर जवाब मांगा जाएगा। सरकार हर वर्ग के अधिकारों से कर रही खिलवाड़
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सरकार में न तो किसानों को फसलों का दाम मिल रहा है, न युवाओं को रोजगार। मजदूर को काम और कर्मचारी को सम्मान नहीं मिल रहा है। सरकार हर वर्ग के अधिकारों के साथ खिलवाड़ करने में लगी है।हुड्डा का निजी विधेयक नामंजूर
हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के लिए नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा की ओर से भेजा गया निजी विधेयक सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं होगा। कृषि और किसान कल्याण विभाग ने इसे औचित्यहीन व नए कृषि कानूनों के विपरीत बताया है। हुड्डा ने निजी विधेयक ‘हरियाणा कृषि उत्पाद बाजार (हरियाणा संशोधन) विधेयक-2021’ के नाम से भेजा था।विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने विधानसभा सचिवालय को पत्र के जरिए इसे कार्यवाही में शामिल न करने की सूचना भेजी है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि केंद्रीय अधिनियमों पर सर्वोच्च न्यायालय की जांच जारी है। सर्वोच्च न्यायालय ने अगले आदेश तक केंद्रीय अधिनियमों के क्रियान्वयन पर रोक लगाई है। न्यायालय ने अंतरिम आदेश में दोनों पक्षों से समस्याओं का निष्पक्ष, न्यायसंगत और उचित समाधान करने का प्रयास करने को कहा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को लागू रखने की बात भी कही गई है। संविधान के अनुच्छेद 254 और 246 के तहत लागू प्रावधान इस संबंध में बहुत स्पष्ट हैं। इसलिए इस विधेयक के माध्यम से प्रस्तावित संशोधन पर विचार करना कानूनी रूप से उचित नहीं होगा। निजी विधेयक में एमएसपी से नीचे की उपज को बेचने के लिए किसी भी किसान पर दबाव बनाने के लिए तीन साल तक की जेल और जुर्माना जैसी आपराधिक कार्रवाई जोड़ने का प्रस्ताव है। एमएसपी औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) से जुड़ा हुआ है लेकिन कई उदाहरण हैं, जहां कृषि उपज अधिसूचित गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं है। दंड के प्रावधान को शामिल किए जाने पर खरीदार उपज खरीदने से मना भी कर सकता है। इससे किसान की आय और आजीविका को प्रभावित होगी।