जिला प्रशासन को ठेके बंद कराने के लिए छह दिसंबर तक का समय दिया गया है। मंडेबरी गांव के 10 किलोमीटर एरिया में खुले शराब ठेकों को बंद कराने की मांग है। डीसी को ज्ञापन सौंपकर महिलाओं ने चेतावनी दी है। बोलीं- अब सब्र का बांध टूट रहा है।
यमुनानगर में जहरीली शराब से अब किसी और की जान न जाए, इसके लिए मंडेबरी गांव की महिलाएं मैदान में आ गई हैं। उन्होंने गांव के 10 किलोमीटर में खुले शराब के ठेकों को बंद करवाने की मांग उठाई है। साथ ही इसके लिए छह दिसंबर तक की समय सीमा निर्धारित की है। इसके बाद स्वयं हाथों में लठ लेकर शराब ठेकों पर उतरने की चेतावनी दी है। इस संबंध में महिलाओं ने सोमवार को डीसी को भी ज्ञापन सौंपा।
मंडेबरी गांव की रजनी, बाला देवी, रेखा, सीता, संतोष, संगीता, बिमला रानी, सुदेश और किरण ने डीसी को दी शिकायत में बताया कि मंडेबरी गांव में जहरीली शराब पीने से आठ लोगों की मौत हो चुकी है। कई बीमार हो गए हैं। एक व्यक्ति की आंखों की रोशनी चली गई।
इतनी त्रासदी के बाद प्रशासन ने लोगों को आश्वासन दिया था कि इस मामले में दोषियों पर जल्द कार्रवाई होगी, परंतु अब सब्र का बांध टूट रहा है। ठेकों से ही गांवों में जहरीली शराब बेची जाती थी। इसके बावजूद एक ठेके को छोड़ कर किसी को भी बंद नहीं किया गया है, जबकि मंडेबरी समेत आसपास के कई गांवों में लोग जहरीली शराब पीकर बीमार हुए हैं।
गांव के लोग अब दूसरे ठेकों से शराब खरीद कर पीने लगे हैं। लगातार हो रही मौत के बावजूद शराब के टैक्स से होने वाले मुनाफे को सरकार छोड़ना नहीं चाहती। ठेकों की जांच कराने के नाम पर मामले को ठंडे बस्ते में डालने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गांव के एक-एक व्यक्ति की जान कीमती है, जिसे अब हर हाल में बचाया जाएगा।
महिलाओं ने शराब के ठेकों को बंद करने के लिए छह दिसंबर तक का समय दिया है। इसके बाद स्वयं लठ लेकर मैदान में उतरने की बात कही है, कहा कि इसके लिए उन्हें चाहे घरों का कामकाज ही क्यों न छोड़ना पड़े।
वह दुखी मन से सरकार को चेतावनी दे रही हैं, क्योंकि गांव में किसी न किसी महिला ने जहरीली शराब के कारण अपना बेटा, भाई या पिता खोया है, जिनके परिवारों में मृत्यु हुई है, उनको अब तक मुआवजा भी नहीं मिला है।