हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में याची पर प्रवचन देते समय किसी व्यक्ति या समुदाय को नुकसान पहुंचाने के द्वेष या जानबूझकर किए गए कृत्य का कोई सबूत स्पष्ट नहीं है।

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरु रविदास और संत कबीर जी पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों के मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आदेश दिया है। साथ ही याचिका का निपटारा कर दिया।
याचिका दाखिल करते हुए राम रहीम ने उनके खिलाफ एक सत्संग को लेकर दर्ज एफआईआर को रद्द करने की अपील की थी। याची ने बताया कि उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 295ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने) के आरोप में जालंधर ग्रामीण के पातरां में 17 मार्च को एफआईआर दर्ज की गई थी। यह एफआईआर 7 साल पहले हुए एक सत्संग को लेकर है जिसको लेकर अब इतने लंबे अंतराल के बाद एफआईआर दर्ज की गई।
हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में याची पर प्रवचन देते समय किसी व्यक्ति या समुदाय को नुकसान पहुंचाने के द्वेष या जानबूझकर किए गए कृत्य का कोई सबूत स्पष्ट नहीं है। याचिकाकर्ता का तर्क कि उसकी बातें ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुरूप हैं याचिका के साथ संलग्न विभिन्न ऐतिहासिक ग्रंथों से स्पष्ट होता है। एकमात्र मुख्य अंतर यह है कि याचिकाकर्ता ने प्रवचन देते समय स्थानीय बोलचाल के शब्दों का उपयोग किया है। हालांकि यह किसी भी तरह से संत कबीर दास और गुरु रविदास के अनुयायियों के प्रति कोई अनादर, द्वेष या जानबूझकर अपमान का मामला नहीं है।
शिकायतकर्ता ने एफआईआर दर्ज करते समय बातचीत के चुनिंदा खंडों को निकाला और उन्हें उचित संदर्भ के बिना प्रस्तुत किया। इसके अलावा न तो राज्य और न ही वर्तमान याचिका में शिकायतकर्ता ने याचिका के साथ संलग्न ऐतिहासिक ग्रंथों की सामग्री का विरोध किया है। चूंकि कथा याचिकाकर्ता की कल्पना का उत्पाद नहीं है और इसमें कोई स्वयं रचित तत्व शामिल नहीं है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि इसे किसी दुर्भावनापूर्ण इरादे से प्रस्तुत किया गया है। डेरा प्रमुख ने 2016 में अपने भक्तों की मंडली को यह प्रवचन दिया था, जो कि एफआईआर दर्ज होने से सात साल पहले था। प्रवचन के बाद पिछले सात वर्षों में किसी भी तरफ से कोई शिकायत नहीं मिली थी।