Chanakya Niti: ये काम करने में स्त्री या पुरुष को कभी नहीं करनी चाहिए शर्म

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चाणक्य नीति: ये काम करते समय स्त्री या पुरुष को नहीं करनी चाहिए शर्म

स्त्री हो या पुरुष, लाज-शर्म उनके व्यवहार का आभूषण मानी जाती है। लेकिन चाणक्य नीति के अनुसार, जीवन में कुछ कार्य ऐसे हैं जिन्हें करते समय लाज-शर्म त्यागना आवश्यक है, अन्यथा व्यक्ति स्वयं को नुकसान पहुंचा सकता है।

चाणक्य का श्लोक

धनधान्यप्रयोगेषु विद्वासंग्रहणे तथा।
आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्ज: सुखी भवेत्।।

इस श्लोक में तीन ऐसे कार्यों का वर्णन किया गया है, जहां लज्जा त्यागने से सफलता प्राप्त होती है।


1. धन-संबंधित कार्यों में शर्म न करें

पैसों से संबंधित मामलों में शर्म करना आर्थिक हानि का कारण बन सकता है। यदि आपने किसी को उधार दिया है, तो उसे वापस मांगने में शर्म न करें। अक्सर लोग संकोच के कारण उधार दिए धन को नहीं मांग पाते और उन्हें वित्तीय नुकसान उठाना पड़ता है।


2. भोजन करते समय शर्म न करें

भोजन के दौरान शर्म करने वाला व्यक्ति भूखा रह सकता है। कई बार लोग सगे-संबंधियों या परिचितों के घर शर्म के कारण पर्याप्त भोजन नहीं करते। इसका परिणाम यह होता है कि वे अपनी भूख को संतुष्ट नहीं कर पाते। भोजन करना एक आवश्यक कार्य है और इसे करते समय शर्म का त्याग करें।


3. ज्ञान प्राप्ति में लज्जा बाधक है

गुरु से शिक्षा प्राप्त करते समय शर्म का त्याग करना चाहिए। जो शिष्य प्रश्न पूछने में संकोच करता है, वह कभी भी ज्ञान प्राप्त नहीं कर पाता। अच्छे शिष्य को शिक्षा के समय संकोच नहीं करना चाहिए। गुरु से ज्ञान अर्जित करना एक पवित्र कार्य है और इसे पूरी निष्ठा और साहस के साथ करना चाहिए।


चाणक्य नीति में वर्णित ये तीन बातें सिखाती हैं कि जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं में लज्जा बाधक बन सकती है। सफलता प्राप्त करने के लिए इन कार्यों में लज्जा का त्याग करना ही उचित है।