खेल स्टेडियम में सैर करने पर चार्ज: विपक्ष ने बताया जजिया कर और तुगलकी फरमान

Parmod Kumar

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हरियाणा के खेल स्टेडियमों में प्रवेश पर चार्ज को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा है। विपक्ष ने इसे जजपा- भाजपा सरकार द्वारा लगाया जजिया कर की संज्ञा दी है और खिलाड़ियों और सैर करने वालों लोगों से वसूली का तुगलकी फरमान वापस लेने की मांग की है। खेल विभाग के निदेशक पंकज नैन ने स्पष्ट किया कि खिलाड़ियों को स्टेडियम में प्रवेश के लिए किसी भी तरह के शुल्क से नहीं बांधा गया है। यह शुल्क केवल उन लोगों पर लगाया गया है, जो स्टेडियम को केवल सैर-सपाटे के लिए इस्तेमाल करते हैं और उनका खेल से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं होता। ऐसे लोगों की वजह से न केवल स्टेडियम के ट्रैक खराब होते हैं, बल्कि खिलाड़ी का खेल से ध्यान भी भंग होता है। स्टेडियम को खिलाड़ियों के लिए सुरक्षित और महफूज रखने की दिशा में यह कदम उठाया गया है और इससे प्रदेश के खिलाड़ियों को काफी फायदा भी मिलेगा। निदेशक पंकज नैन ने बताया कि खेल विभाग ने स्टेडियम में प्रवेश और सुविधाओं को तीन कैटेगरी में बांटा है। पहली कैटेगरी में नर्सरी के जो बच्चे कोच के पास खेलने के लिए आते हैं। चाहे एक कोच के पास कितने भी बच्चे क्यों न आते हों, उनसे कोई फीस नहीं ली जाएगी। ऐसे बच्चों को निशुल्क एंट्री कार्ड जारी किया जाएगा और वह किसी भी समय स्टेडियम की सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं। दूसरा कैटेगरी में यदि कोई सामान्य खिलाड़ी केवल खेलने के लिए स्टेडियम में आ रहा है और वह कोच का बच्चा नहीं है, पर वह खेल स्टेडियम की सुविधाओं को इस्तेमाल करना चाहता है तो उसके लिए 100 रुपए प्रतिमाह सामान्य शुल्क रखा गया है, जिसकी अदायगी के बाद उस खिलाड़ी को एंट्री कार्ड जारी कर दिया जाएगा, ताकि उस बच्चे को भी याद रहे कि वह यहां खेलने के लिए आ रहा है और यह उसकी सदस्यता फीस है। तीसरी कैटेगरी में वे लोग आते हैं, जो स्टेडियम को केवल सैर-सपाटे के लिए इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि ऐसे लोग ट्रैक के बीच में सैर करते रहते हैं, जिससे ट्रैक खराब हो जाता है। इससे जो खिलाड़ी खेल रहे होते हैं, उनका भी ध्यान भटक जाता है। कई बार इस कारण खिलाड़ी चोटिल भी हो जाते थे। अगर फिर भी कुछ लोग स्टेडियम की सड़कों पर सैर करना चाहते हैं तो एक हजार रुपए मासिक शुल्क देकर सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। मगर उन्हें स्पोर्ट्स की सुविधा नहीं दी जाएगी।