Chhath Puja 2025: छठ पूजा में इन सामग्रियों की पड़ेगी जरूरत, यहां से नोट करें पूरी लिस्ट!

parmodkumar

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छठ पूजा (Chhath Puja 2025) लोक आस्था का सबसे बड़ा और पवित्र पर्व है, जो इस साल 25 अक्टूबर से शुरू होकर चार दिनों तक मनाया जाएगा। इस पर्व में सूर्य देव और छठी मैया की उपासना की जाती है।

हर अनुष्ठान में उपयोग होने वाली वस्तुओं का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। कहा जाता है कि यदि पूजा सामग्री अधूरी रह जाए, तो पूजा का फल पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं होता। इसलिए व्रत शुरू करने से पहले सभी आवश्यक चीजों की पूरी सूची तैयार कर लेनी चाहिए।

छठ पूजा कैलेंडर (Chhath Puja 2025 Dates)

25 अक्टूबर (शनिवार) – नहाय-खाय

26 अक्टूबर (रविवार) – खरना

27 अक्टूबर (सोमवार) – संध्या अर्घ्य

28 अक्टूबर (मंगलवार) – उषा अर्घ्य

छठ पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट (Chhath Puja Samagri List)

ठेकुआ – गेहूं के आटे, गुड़ और घी से बना यह मुख्य प्रसाद होता है।

चावल के लड्डू – यह भी प्रसाद के रूप में विशेष महत्व रखता है।

मौसमी फल – कम से कम 5 या 7 प्रकार के फल जैसे केला, नारियल (पानी वाला), सेब, अमरूद, डाभ नींबू आदि।

गन्ना – 5 या 7 पत्ते लगे गन्ने, जो मंडप सजाने और समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं।

शकरकंद और सुथनी – ये भूमि में उगने वाले पवित्र कंद हैं।

हल्दी का पौधा – गांठ सहित पूरा पौधा पूजा में शुभ माना जाता है।

पान और सुपारी – हर पूजन में उपयोग होने वाली आवश्यक वस्तु।

अक्षत – साबुत चावल, जो शुद्धता और पूर्णता का प्रतीक हैं।

बांस की दो टोकरी (सूप या दउरा) – एक संध्या अर्घ्य और दूसरी उषा अर्घ्य के लिए।

बांस या पीतल का सूप – फल और प्रसाद रखने के लिए।

तांबे या कांसे का लोटा – सूर्य देव को दूध और जल अर्पित करने के लिए।

कच्चा दूध और शुद्ध जल – अर्घ्य के लिए आवश्यक।

दीपक, घी और बाती – मिट्टी के दीपक को सबसे शुभ माना जाता है।

सिंदूर, रोली और चंदन – पूजन सामग्री का अहम हिस्सा।

हवन सामग्री – खरना और अर्घ्य के समय उपयोग में आती है।

कलावा (मौली) – व्रती के हाथ में बांधी जाने वाली पवित्र डोरी।

पीले या लाल रंग के नए वस्त्र/साड़ी – व्रती के लिए शुभ माने जाते हैं।

छठ पूजा मंत्र (Chhath Puja Mantra)

ॐ सूर्याय नमः।।

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।

ग्रहाणामादिरादित्यो लोक लक्षण कारक:। विषम स्थान संभूतां पीड़ां दहतु मे रवि।।

ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।।