- जैसे-जैसे ठंड बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे न केवल डेंगू का खात्मा हो रहा है
- जिले में करीब 15 हजार से ज्यादा लोगों के डेंगू के सैंपल लिए गए।
- करीब 529 लोगों को डेंगू ने अपना शिकार बनाया।
जिले में तेजी से फैल रहे डेंगू के डंक पर आखिरकार ठंड ने ब्रेक लगा ही दिया। प्रशासन बेशक डेंगू की रफ्तार पर अंकुश लगाने में नाकाम रहा, लेकिन पूर्व अनुमान के अनुसार ठंड ही डेंगू पर कारगर साबित हुई। जैसे-जैसे ठंड बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे न केवल डेंगू का खात्मा हो रहा है बल्कि डेंगू की जांच करवाने वाले मरीजों की संख्या भी कम हो रही है।
15 हजार से ज्यादा लिए गए सैंपल
नवंबर माह से पहले औसतन 200 से ज्यादा सैंपल भी प्रतिदिन स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने लिए, लेकिन अब डेंगू की जांच करवाने वाले औसतन 55-60 लोग ही विभिन्न अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। हालांकि, शनिवार और रविवार या छुट्टी वाले दिन यह संख्या और भी कम रह रही है। इस सीजन की बात करें तो जिले में करीब 15 हजार से ज्यादा लोगों के डेंगू के सैंपल लिए गए। इनमें से करीब 11 हजार से ज्यादा सैंपल सरकारी अस्पताल व स्वास्थ्य विभाग की टीमों के द्वार कलेक्ट किए गए जबकि करीब चार हजार सैंपल निजी अस्पताल व प्राइवेट लैब में जांचें गए।
इनमें से करीब 529 लोगों को डेंगू ने अपना शिकार बनाया। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में इस बार डेंगू से जिले में कोई मौत नहीं हुई। हालांकि प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती और खुद जिला नागरिक अस्पताल में कार्यरत रहे सुरक्षाकर्मी की मौत की पुष्टि अधिकारियों ने पहले डेंगू से की थी लेकिन बाद में स्वास्थ्य विभाग ने ही इसकी पुष्टि नहीं की।
सबक लेने को नहीं तैयार नगर निकाय की टीमें
बता दें कि जिले में हर साल डेंगू के औसतन 400 से ज्यादा केस आ रहे हैं लेकिन इसके बावजूद नगर निकाय की टीमें सबक लेने को तैयार नहीं हैं। हर बार ज्यादातर उन्हीं एरिया में डेंगू फैलता है जहां पहले वर्ष केस मिल चुके होते हैं। समय पर फोगिंग शुरू नहीं करवाने और समय पर लोगों को जागरूक करने के लिए नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका द्वारा कोई प्रयास नहीं किया जाता। केवल स्वास्थ्य विभाग की टीम ही प्रयासरत रहती है।
हालांकि, स्वास्थ्य विभाग की टीम भी केवल डेंगू का लारवा मिलने पर नोटिस ही जारी करने तक सिमटी है। एक भी व्यक्ति का चालान नहीं किया गया। इसी कारण जनता भी लापरवाह बरत रही है और पानी निकासी तक करना लाजमी नहीं समझ रही। इसी कारण घरों के भीतर लारवा मिलना बंद नहीं हो रहा।