गवाही से मुकरे शिकायतकर्ता और तत्कालीन SEPO, अदालत ने सुनाई सजा

parmod kumar

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गांव दीपालपुर निवासी किसान विजय ने 7 जुलाई, 2015 को विजिलेंस को शिकायत दी थी कि अपने खेत की पैमाइश करवाने के लिए उसने तत्कालीन पटवारी सुनील से संपर्क किया था। तब उससे पहले 10 हजार रुपये की मांग की गई थी। बाद में पांच हजार रुपये में सौदा तय किया था। उसने बताया था कि इसमें से गिरदावर को भी हिस्सा दिया जाएगा।

इस पर विजय ने इसकी शिकायत झज्जर विजिलेंस से कर दी। इसके बाद पटवारी सुनील और गिरदावर बलवान सिंह को पकड़ा था। मामले में सुनवाई शुरू होने पर मुख्य शिकायतकर्ता विजय और मामले में छाया गवाह तत्कालीन एसईपीओ वेदपाल अपने बयान से मुकर गए थे। तब एएसजे डॉ. सुशील गर्ग की अदालत ने दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर आईपीसी की धारा 193 के तहत कार्रवाई के आदेश दिए थे। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी दीप्ति ने शिकायतकर्ता विजय व तत्कालीन छाया गवाह वेदपाल को दोषी करार दिया।

अदालत ने दोनों आरोपियों को अपील के लिए एक माह का समय दिया है। उन्हें 20 हजार रुपये के बांड पर जमानत देने का फैसला दिया गया। उन्हें दी गई समयावधि में अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया है।

डॉ. सुशील गर्ग की अदालत ने रिश्वत मामले में सुनवाई के बाद 5 जुलाई, 2017 को गिरदावर और पटवारी को भी दोषी करार देते हुए चार-चार साल की सजा सुनाई थी।