गेहूं की फसल में पीलापन: कारण, पहचान और समाधान
गेहूं की फसल में पीलापन के कारण
मौजूदा मौसम में किसानों को गेहूं की फसल में पीलापन देखने को मिल रहा है। इसके पीछे मुख्य रूप से दो कारण हो सकते हैं:
- तत्वों की कमी: सल्फर, जिंक और मैंगनीज की कमी के कारण पत्तियों का रंग बदल सकता है।
- पीला रतुआ रोग: यह एक फफूंदी जनित बीमारी है, जो पहाड़ी क्षेत्रों से हवा के माध्यम से मैदानी इलाकों में फैलती है।
तत्वों की कमी के लक्षण और समाधान
- सल्फर की कमी:
- पत्तियां हल्के सफेद या पीले रंग की हो जाती हैं।
- समाधान: सल्फर की कमी को दूर करने के लिए सल्फर युक्त उर्वरकों का छिड़काव करें।
- जिंक की कमी:
- पत्तियों में पीले-हरे धब्बे उभर आते हैं।
- समाधान: 500 ग्राम जिंक सल्फेट (21%) और 1.5-2.5 किग्रा यूरिया को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।
- मैंगनीज की कमी:
- पत्तियों पर हरी धारियां बनती हैं और गंभीर स्थिति में झंडा पत्ता सूख सकता है।
- समाधान: 500 ग्राम मैंगनीज सल्फेट को 100 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। आवश्यकता पड़ने पर 7-10 दिन बाद दोबारा स्प्रे करें।
पीला रतुआ रोग: पहचान और नियंत्रण
- पहचान:
- पत्तियों पर पीले रंग का चूर्ण दिखाई देता है।
- यदि इसे उंगली से रगड़ा जाए तो पीला पाउडर निकलता है।
- नियंत्रण के उपाय:
- रोग प्रतिरोधी किस्में अपनाएं: नवीनतम किस्में जैसे डीबीडब्ल्यू-1270, 1105, 1402, 1142 आदि लगाएं।
- फफूंदी नाशक दवाओं का छिड़काव करें:
- टिल्ट (प्रोपिकोनाजोल): 200 मिलीलीटर टिल्ट को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ स्प्रे करें।
- नेटिवो: 120 ग्राम नेटिवो को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। 15 दिन बाद दूसरा छिड़काव करें।
किसान भाइयों के लिए सुझाव
- खेत की नियमित निगरानी करें और पीलेपन के लक्षण दिखने पर तुरंत उचित समाधान अपनाएं।
- बिना परामर्श महंगी दवाइयों का छिड़काव न करें। पहले विशेषज्ञों से सलाह लें।
- नवीनतम किस्मों का उपयोग करें, ताकि फसल बीमारियों से बची रहे और अधिक उत्पादन हो।
किसानों के सहयोग के लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न सलाह केंद्र उपलब्ध हैं, जहां से वे उचित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।