प्रदर्शनकारी किसानों की घटती संख्या से चिंतित संयुक्त किसान मोर्चा, राकेश टिकैत भी हैरान

Parmod Kumar

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तीनों कृषि कानूनों को रद करने की मांग को लेकर दिल्ली से सटे गाजीपुर, शाहजहांपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर चल रहा किसानों का प्रदर्शन फीका पड़ने लगा है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता के अलावा भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत आंदोलन की सफलता को लेकर कितने ही दावे करें, लेकिन सच यह है कि दिल्ली की सीमाओं पर जुटे किसानों की संख्या तेजी से घटती जा रही है। गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर पहले की तुलना में प्रदर्शनकारी किसानों की संख्या बेहद कम है। किसान नेता राकेश टिकैत भी इस बात से हैरान हैं कि यूपी गेट पर किसान प्रदर्शनकारियों की संख्या 200 से भी नीचे आ गई है। टेंट भी उखड़ने लगे हैं। बताया जा रहा है कि  28 नवंबर को जब यूपी गेट पर किसानों का धरना-प्रदर्शन शुरू हुआ था तो यहां पर युवा हजारों की संख्या में धरनास्थल पर मौजूद थे। आलम यह था कि युवा मंच भी संभालते थे और धरनास्थल की सभी व्यवस्था युवाओं के हाथ ही थीं। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष गौरव टिकैत भी अक्सर यहां पर पहुंचकर युवा प्रदर्शनकारियों में जोश भरते थे। तीन महीने बाद अब हालत यह है कि 26 जनवरी को दिल्ली में हुए उपद्रव के बाद युवा प्रदर्शनकारी धरनास्थल को छोड़कर चले गए। इनके वापस लौटने का सिलसिला अभी भी जारी है। धरनास्थल का मंच खाली दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में प्रदर्शनकारी नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा रही हैं मंगलवार रात को हुई बूंदाबांदी और आंधी में यूपी गेट धरनास्थल से प्रदर्शनकारियों के करीब आधा दर्जन टेंट उखड़ गए। बुधवार को इन टेंटों को दोबारा लगाने का काम चलता रहा।बारिश से गीला हुआ सामान: मंगलवार रात हुई बारिश से यूपी गेट धरना स्थल पर रखा हुआ प्रदर्शनकारियों का सामान गीला हो गया। उनके कपड़ों के साथ बिस्तर भी गीले हो गए। बुधवार को प्रदर्शनकारी अपने सामान धूप में सुखा रहे थे। यूपी गेट धरनास्थल पर बुधवार को सरकार के खिलाफ प्रदर्शनकारी हाथों में लोहे की जंजीर बांधकर घूमे। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि तीन कृषि कानून किसी हथकड़ी से कम नहीं हैं।यूपी गेट पर पहुंचे पंखे: बढ़ती हुई गर्मी के चलते यूपी गेट स्थित धरनास्थल पर बुधवार को काफी संख्या में बिजली के पंखे पहुंचे। इन पंखों को टेंटों में लगाया जाएगा। कृषि कानून विरोधियों की ओर से सिंघु बॉर्डर पर धरना दिया जा रहा है। महिलाएं अब धरना स्थल पर दिखाई नहीं दे रही हैं। बुधवार को धरना स्थल पर दस महिलाएं भी मौजूद नहीं थीं। धरना स्थल पर पंखे लगाने के बावजूद प्रदर्शनकारियों की संख्या बीते दो दिनों के मुकाबले कम देखने को मिली। प्रदर्शनकारी धरना स्थल पर कम और ट्रालियों में ज्यादा बैठे दिखे। दरअसल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के बाद अब सिंघु बॉर्डर पर फिर से रौनक खत्म होती जा रही है। आठ मार्च को यहां पर भारी संख्या में महिलाएं पहुंचीं थीं, लेकिन अब वह वापस अपने घरों को लौट गई हैं। धरना स्थल पर उनकी संख्या न के बराबर हो गई है। प्रदर्शनकारियों की ओर से धरना स्थल पर भीड़ बढ़ाने के लिए पूरी कोशिश की जा रही है। कभी मुफ्त में गन्ने का जूस पिलाया जा रहा है तो कभी फ्री में आइसक्रीम बांटी जा रही है, बावजूद इसके एक- दो दिन रौनक के बाद फिर से वही सन्नाटा हो जा रहा है। धरना स्थल पर अब केवल बुजुर्ग ही बचे हैं। 26 जनवरी के बाद यहां पर युवा आने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। इस वजह से सुरक्षा बलों के जवान भी आराम करते दिखाई पड़ते हैं। यहां पर दो बार पुलिस पर हमला भी हो चुका है, ऐसे में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है।