संयुक्त किसान मोर्चा और हरियाणा के कुछ किसान संगठनों में टकराव के हालात बन गए हैं। मोर्चा ने हरियाणा के कुछ संगठनों के नेताओं को निष्कासित कर दिया है। उधर, संयुक्त किसान मोर्चा के कुछ नेताओं पर राजनीति करने समेत कई गंभीर आरोप लगाए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार को बयान जारी करके कहा कि मोर्चा के स्टैंड और मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए हरियाणा के चार व्यक्तियों (प्रदीप धनखड़, विकल पचार, जगबीर घसोला और डॉ. शमशेर) को संयुक्त किसान मोर्चा से पूरी तरह से निष्कासित कर दिया गया है और उन्हें मोर्चा के किसी भी विरोध स्थल में मंच पर प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। बयान में कहा गया है कि यह निर्णय मोर्चा की पिछली बैठक में लिया गया था।
चढ़ूनी ने वापस लिया चुनाव में प्रवेश करने का बयान
बयान के अनुसार, भाकियू (चढ़ूनी) के गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने चुनाव में प्रवेश करने के अपने बयान को वापस ले लिया है और न ही वे किसी राजनीतिक दल का गठन करेंगे। कहा गया है कि मोर्चा के प्रतिनिधियों और चढ़ूनी के बीच बातचीत में कुछ अन्य लंबित मुद्दों को भी सुलझा लिया गया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन के नौ महीने पूरे होने के उपलक्ष्य में 26 अगस्त को एक राष्ट्रीय सम्मेलन करने की योजना भी बनाई है।
सहरावत और यादव पर लगाए आरोप
हरियाणा के उक्त किसान नेताओं की ओर से कहा गया कि हम सभी साथी 11 अगस्त बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठकों का बहिष्कार कर चुके थे। जगबीर घसोला ने कहा कि प्रदीप धनखड़, डॉ. शमशेर और विकल पचार किसान आंदोलन में सक्रिय भूमिका के साथ आंदोलनरत थे, हैं और रहेंगे। वे हरियाणा प्रदेश के किसानों को विश्वास दिलाना चाहते हैं कि हमारे कारण किसान आंदोलन को किसी भी प्रकार की क्षति नहीं होने दी जाएगी। अगर हरियाणा के किसानों के मुद्दों के साथ किसी भी प्रकार की अनदेखी या कुठाराघात किया तो उसे गूंगे और बहरे बुत बनकर सहन नहीं करेंगे। घसोला ने कहा कि कुछ राजनीतिक पार्टियों के लोग इस पूरे प्रकरण को अंजाम देने में अग्रणी भूमिका निभा रहे थे, जिनमें युद्धवीर सिंह सहरावत व योगेंद्र यादव आदि शामिल हैं। वे आंदोलन को अपने हाथ में लेना चाहते हैं, उसी गलत मंशा के बीच में रोड़ा बनने वाले किसान नेताओं को मोर्चे से बाहर निकाला जाता है।