पंजाब में चल रहे राजनीतिक संकट से कांग्रेस आलाकमान परेशान है। नवजोत सिंह सिद्धू के धुआंधार ट्वीट से कांग्रेस नाराज है। जहां एक ओर ट्वीट के जरिए सिद्धू सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ नाराजगी जताते रहते हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पंजाब में पार्टी को संगठित करने का फॉर्म्युला ढूंढ रही है। 2022 में विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी कोई भी जोखिम लेने के मूड में नहीं है।
‘अमरिंदर ने अनुशासन में रहकर रखी बात’
सूत्रों के मुताबिक सीएम अमरिंदर के साथ पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की मुलाकात सकारात्मक रही है। खुद अमरिंदर सिंह ने मीटिंग के बाद सार्वजनिक बयान देते हुए कहा था कि नेतृत्व का जो भी निर्णय होगा, वह उन्हें स्वीकार है। समस्या सुलझाने में लगाए गए कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने कहा, ‘अमरिंदर सिंह ने एक कद्दावर नेता के रूप में हावभाव दिखाए हैं। विपरीत हालात के बावजूद उन्होंने अनुशासन में रहकर अपनी बात रखी है। उनसे इसी तरह की अपेक्षा की जाती है।’
सिद्धू के ट्वीट्स से पार्टी असहज, अनुशासन की अपेक्षा
दूसरी ओर नवजोत सिद्धू ने लगातार ट्वीट्स से पार्टी को असहज किया है। वह राज्य की कांग्रेस सरकार और सीएम अमरिंदर को निशाने पर लेते रहते हैं। कांग्रेस नेता ने बताया, ‘कांग्रेस में ऐसी कोई पाबंदी नहीं है कि किसी नए नेता या जूनियर लीडर को पार्टी में अहम पद नहीं दिया जा सकता। लेकिन अब यह उनके (सिद्धू) ऊपर है कि ऐसे पद के लिए वह अनुशासन को बनाए रखें। नाराजगी जताना ठीक है लेकिन अनुशासन दूसरी चीज है।’
पार्टी के सूत्रों का कहना है कि अभी पार्टी पूरी तरह से निश्चिंत नहीं है कि अगर सिद्धू को अहम पद दिया जाता है तो वह अपने बर्ताव में बदलाव ला सकते हैं। अमरिंदर ने मुलाकात के बाद कहा था कि सोनिया गांधी जो भी कहेंगी उसी के मुताबिक वह काम करेंगे। पार्टी के अंदर अमरिंदर की इस बयान के लिए प्रशंसा हो रही है। ऐसे में संभावना है कि सिद्धू भी अब बेवजह बयानबाजी से बचेंगे। अमरिंदर के इस बयान के बाद से सिद्धू ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
पंजाब में कांग्रेस को पार्टी में बदलाव को लेकर फैसला करना है। सबसे अहम फैक्टर सिद्धू का पार्टी में समायोजन है। सिद्धू प्रदेश कांग्रेस कमिटी अध्यक्ष के पद के लिए अड़े हुए हैं। लेकिन उन्हेंने मुख्यमंत्री अमरिंदर के साथ ही अगली पीढ़ी के नेताओं के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है।