कांग्रेस नेता राहुल गांधी का किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना।

Parmod Kumar

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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा सांसद राहुल गांधी ने दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन को लेकर मंगलवार को एक बार फिर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि जब किसान नाम के आगे ‘शहीद’ लगाना पड़े तो समझना चाहिए कि सरकार की क्रूरता हद से पार हो गई है. केंद्र सरकार द्वारा लाए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन को एक साल होने वाले हैं.

राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा, “जब किसान नाम के आगे ‘शहीद’ लगाना पड़े, समझ जाओ सरकार की क्रूरता हद से पार हो गयी है. अन्नदाता सत्याग्रह को नमन! #FarmersProtest”. राहुल गांधी किसानों की मांग का समर्थन करते हुए लगातार सरकार पर सवाल उठा रहे हैं और कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.

विभिन्न किसान संगठनों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने हाल ही में दावा किया था कि आंदोलन के दौरान 650 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है. हालांकि सरकार इन आंकड़ों को नहीं मानती है. एसकेएम ने हाल ही में घोषणा की थी कि कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का एक साल पूरे होने के मौके पर 500 किसान हर दिन 29 नवंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के दौरान संसद तक शांतिपूर्ण ट्रैक्टर मार्च में हिस्सा लेंगे. संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से 23 दिसंबर तक चलेगा.

 

26 नवंबर को दिल्ली की सभी सीमाओं पर जुटेंगे किसान

इसमें कहा गया कि यह केंद्र सरकार पर ‘दबाव बढ़ाने’ के लिए और ‘उसे उन मांगों को स्वीकार करने के लिए मजबूर करने के लिए किया जाएगा, जिनके लिए देशभर के किसानों ने एक ऐतिहासिक संघर्ष शुरू किया है. इससे पहले मार्च में भी किसानों ने विवादित तीन कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए संसद तक पैदल मार्च निकाला था. एसकेएम के बयान में कहा गया है कि 26 नवंबर को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान से दिल्ली की सभी सीमाओं पर भारी भीड़ जुटेगी.

देश के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान, पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी केन्द्र के तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. किसानों को भय है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रणाली खत्म हो जाएगी. हालांकि, सरकार इन कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में पेश कर रही है. दोनों पक्षों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सभी बेनतीजा रहीं.