कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ने केंद्र पर साधा निशाना, बोले पंजाब में समाज को बांटना चाहती है बीजेपी।

Parmod Kumar

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पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने मंगलवार को आरोप लगाया कि बीजेपी नीत केंद्र पंजाब में ‘समाज को विभाजित’ करने और ‘गहरा राज्य’ बनाने की कोशिश कर रहा है. किसानों के विरोध को समाप्त करने के लिए सिंघू सीमा हत्या में एक साजिश की ओर इशारा करते हुए एक समाचार लेख का उल्लेख करते हुए, जाखड़ ने ट्विटर पर कहा, ‘मोदी सरकार छायादार चरित्रों से निपट रही है. इस प्रकार, घोषित राष्ट्रवादी न केवल खुद को बल्कि संस्था को भी नीचा दिखा रहे हैं.

नेता ने अपने ट्वीट के माध्यम से कहा, वह अपने द्वारा साझा की गई समाचार क्लिपिंग में दिखाई गई तस्वीर में एक ‘बर्खास्त पुलिस वाले’ की मौजूदगी की चिंता को उठाना चाहते थे और इस मुद्दे में उनकी जुड़े मुद्दे पर संदेह जताया था. बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार पर साजिश का आरोप लगाते हुए जाखड़ ने कहा, ‘राज्य मंत्री (गृह मामलों) का बयान जिस दिन उनका बेटा निर्दोष किसानों की हत्या में शामिल था, वह बहुत ही सांकेतिक है, उन्होंने कहा ‘इसके पीछे खालिस्तान है’, क्या जानकारी क्या उसके पास था? विचार लोगों को अलग करना और उनकी पहचान करना था.’ उन्होंने बीजेपी से केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की भी अपील की, जिसे उन्होंने ‘काला कानून’ करार दिया. ‘ किसानों के साथ बातचीत शुरू होनी चाहिए.

बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख ने भी किया था ट्वीट

सिंघू बॉर्डर पर एक अज्ञात मृतक का शव पुलिस बैरिकेड से बंधा मिला, उसके हाथ कटे हुए थे, जिसे देख वहां दहशत का माहौल पैदा हो गया. भीड़ में से किसी को भी पीड़ित की मदद करते या मदद करने की कोशिश करते नहीं देखा गया. इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस की टीम ने शव को अपने कब्जे में ले लिया. आरोप लगाया जा रहा है कि वह व्यक्ति सिख धार्मिक पवित्र पुस्तक का अपमान करते हुए पकड़ा गया था, जिसके बाद निहंगों ने उसकी हत्या कर दी. हालांकि इस बारे में आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है.

घटना के तुरंत बाद बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट किया था, ‘बलात्कार, हत्या, वैश्यावृत्ति, हिंसा और अराजकता… किसान आंदोलन के नाम पर यह सब हुआ है. अब हरियाणा के कुंडली बॉर्डर पर युवक की बर्बर हत्या. आखिर हो क्या रहा है? किसान आंदोलन के नाम पर यह अराजकता करने वाले ये लोग कौन हैं जो किसानों को बदनाम कर रहे हैं? अगर राकेश टिकैत ने लखीमपुर में मॉब लिंचिंग को सही नहीं ठहराया होता, कुंडली सीमा पर एक युवक की हत्या नहीं हुई होती. किसानों के नाम पर इन विरोध प्रदर्शनों के पीछे जो अराजकतावादी हैं, उन्हें बेनकाब करने की जरूरत है.’’