कन्नड़ों को निजी कंपनियों में आरक्षण देने वाले विधेयक पर विवाद, उद्योगपतियों ने भेदभाव करार दिया

parmod kumar

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राज्य के कई उद्योगपतियों ने बुधवार को इस विधेयक का विरोध जताया। उन्होंने कहा कि यह भेदभावपूर्ण है और आशंका जताई कि टेक उद्योग को नुकसान हो सकता है। मणिपाल ग्लोबल एजुकेशन सर्विसेज के अध्यक्ष मोहनदास पई ने कहा कि विधेयक फासीवादी और असंवैधानिक है।

उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा कि इस विधेयक को रद्द कर दिया जाना चाहिए। यह भेदभावपूर्ण और संविधान के खिलाफ है। साथ ही पई ने कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश को टैग करते हुए पूछा कि क्या सरकार को यह सिद्ध करना है कि हम कौन हैं? यह एनिमल फार्म जैसा फासीवादी बिल है। हम सोच भी नहीं सकते कि कांग्रेस इस तरह का विधेयक लेकर आ सकती है। क्या एक सरकारी अधिकारी निजी क्षेत्र की भर्ती समितियों में बैठेगा? लोगों को भाषा की परीक्षा देनी होगी

इसके अलावा, बायोकॉन लिमिटेड की कार्यकारी अध्यक्ष किरण मजूमदार ने कहा कि राज्य को इस विधेयक के कारण प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी अग्रणी स्थिति पर असर नहीं पड़ने देना चाहिए और कुशल भर्ती के लिए छूट होनी चाहिए।